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तुम्हारी हर अदा से मोहब्बत होती है। 
इक तेरे रूठ जाने से मुसीबत होती है। 

डाल ली आदत गमों में मुस्कुराने की, 
जिन्दा आदमी की ही तो आदत होती है। 

सीख लिया हमने तुम बिन जीने का सलीका, 
वरना मरे की तो सिर्फ इबादत होती है। 

कब तलक छुपाऊँ मैं अपने दिल की हर बात, 
उसकी हर अदा में एक नजाकत होती है। 

बेजुबाॅ जानवर भी हक अदा कर देते हैं, 
इन्सान में ही क्यों नहीं शराफत होती है। 

🌹s🌹p🌹—लक्ष्मी सिंह 💓

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