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मासूम बचपन की बातें पुरानी। 
नहीं भूल सकता मैं वो जिन्दगानी। 

वो गुड़िया, खिलौना धरौंदे बनाना, 
वो मासूम सी चाहत की निशानी।

कड़ी धूप में मेरा तितली पकड़ना, 
बचपन का सावन, वो नाव वो पानी। 

लड़ना, झगड़ना, गिरना, सम्भलना, 
वो रातें, वो बातें, परियों की कहानी । 

मुहल्ले की खूबसूरत सी बुढ़िया, 
बच्चों की थी वो प्यारी सी नानी। 

ना कोई बंधन ना कोई गम था, 
कोई लौटा दो बचपन लेकर जवानी। 
🌹🌹🌹🌹—लक्ष्मी सिंह 💓

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