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क्रन्दन करूण स्वर वेद ध्वनि अखण्ड है मरघट । 

ना मोह - माया, ममता ना उदण्ड है मरघट । 

अंतिम ठहराव चिर शान्तिमय एक विश्राम स्थल, 

नित शव चिता होम वेदी प्रचण्ड है मरघट । 

🌹🌹🌹🌹—लक्ष्मी सिंह💓

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