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धन-धान्य वैभव को जिसने दोनों हाथों से समेटा है । 

सिवा दुग्ध सी मृदु शैया पर कभी नहीं जो लेटा है । 

देखो तो आज वही मरघट में कैसे पड़ा है अकेला, 

असहाय सोया पाँव पसार वह श्वेत कफन लपेटा है । 

🌹 🌹 🌹 🌹 –लक्ष्मी सिंह 💓 

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