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मकर राशि में सूर्य जब, करने लगे प्रवेश। 
पर्व मकर संक्रांति का, दे जाते संदेश।। 1

सूर्य मकर संक्रांति का, झिलमिल दिखी उजास। 
छोटे दिन बढ़ने लगे, हुआ सुखद आभास।। 2

तिल-गुड़ औ चूड़ा-दही, फिर खिचड़ी का स्वाद। 
थामे डोर पतंग की,अपनेपन की याद।। 3

अंबर में उड़ने लगी, पीली लाल पतंग। 
फँसी हुई हर हाथ में, चरखी डोरी संग।। 4

फूलों के गहने सजे, आशा के मधुमास। 
डोरी तेरे हाथ में, रखना मुझको पास।। 5

अलग-अलग हर राज्य में, अलग-अलग हैं नाम। 
होता पूरे देश में, मकर पर्व अभिराम।। 6

गुड़-तिल भगवन को चढ़े, शुभ खिचड़ी का भोग। 
पुण्य काल संक्रांति में, कई महासंयोग।। 7

पुण्य काल संक्रांति में, कर गंगा स्नान। 
गुड़ तिल कंबल का करें, हर गरीब में दान।। 8

सबको सब खुशियाँ मिले, और मिले सुख-शांति। 
अपनापन गुड़ में लिये, आयी है संक्रांति।। 9
🌹🌹sp🌹🌹—लक्ष्मी सिंह 💓

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