🌹🌹🌹🌹🌹🌹
अन्तर्मन की वेदना, 
उभर कंठ में आय। 
अधरों को छूते हुए, 
मुख से निकले हाय।। 
🌹🌹🌹🌹—लक्ष्मी सिंह 💓

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

मैं एक बूढ़ा लाचार गरीब किसान

फूल पलाश के ले आना तुम।

भतीजे को जन्मदिन की बधाई