रक्षा बंधन
अति सुन्दरतम् सावन ऋतु आई ।
संग रक्षा-बंधन का पर्व है लाई।
बहन बाजार से सुन्दर राखी लाई,
पूजा की थाली सजाई ।
अपने भाई को आवाज लगाई,
द्वार पर है नजरें बिछाएँ
इस बार तो आजा मेरा भाई ।
अति सुन्दरतम् सावन ऋतु आई ।
संग में रक्षा बंधन का पर्व है लाई।
नहीं चाहिए मुझे रूपया - पैसा,
तुम्हें देखने को आँखें मेरा तरसा।
नहीं चाहिए गहना - साड़ी,
बस आजा मेरा प्यारा भाई ।
बहना ने आवाज लगाई ।
अति सुन्दरतम् सावन ऋतु आई ।
संग में रक्षा - बंधन का पर्व है लाई ।
अपनी बहन के पास तो आजा,
इस राखी का धर्म निभा जा ।
आँख से मोती झर - झर बरसे,
तेरे मिलन को नैना तरसे ।
बहुत दिन हुए तुम से बिछड़े ।
अति सुन्दरतम् सावन ऋतु आई ।
संग में रक्षा - बंधन का पर्व है लाई ।
—लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली
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