देश की बेटी



हुआ ओलंपिक खेल समाप्त ,
 आया पदक सिर्फ बेटी के हाथ। 

पी वी सिंधु और साक्षी ने ,
रखी अपने देश की लाज। 

ओलिंपिक में पदक जीत कर, 
बेटियों ने सम्पूर्ण निराशा  से लिया बचा । 

सम्पूर्ण देश को इस समय ,
भावुक उन्माद से दिया भीगा। 

भारत माता की शान में ,
बेटियों में तिरंगा दिया फहरा।

दो -दो पदक जीत कर ,
भारत का विश्व में मान दिया बढ़ा ।

हुआ ओलंपिक खेल समाप्त 
आया पदक सिर्फ बेटी के हाथ। 

जहाँ घर के बहार तक 
वर्चस्व था पुरुषों का। 

वहाँ बेटी ने दिया जवाब 
उसके सवालों का। 

मत मारो इसे अब गर्भ में 
है अधिकार इसे भी जीने का।  

इतिहास गवाह है ,बेटी ने 
सदा मान बढ़ाया है धरा का। 

आज फिर नजर आया देश को 
सिंधु और साक्षी में रूप झाँसी का। 

हुआ ओलंपिक खेल समाप्त 
आया पदक सिर्फ बेटी के हाथ। 

पी वी सिंधु और साक्षी ने 
रखी अपने देश की लाज। 

-लक्ष्मी सिंह 
-नई दिल्ली 



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