क्यों वारिस वारिस करते हो
क्यों?
वारिस वारिस करते हो,
बेटा ही क्यो वारिस है?
मैंने बेटी को जन्म दिया,
क्या मेरा घर लवारिस है?
क्यों?
सोच है ऐसी दुनिया की,
निरवंश मेरा क्यों नाम दिया?
क्यों?.
वंशहीन मुझे कहकर,
यूँ हर पल
नारी का अपमान किया ।
नारी जग की जननी है ।
ये बात कैसे?
जग भूल गया ।
पितृप्रधान इस दुनिया में,
क्यों?
नारी को हर पल शूल मिला ।
एक वंश के खातिर मैं,
अपने अंश को कैसे तन से जुदा करती?
ये सब मुझ से नहीं हो सकता ।
मै एक औरत हूँ,
हत्यारिन नहीं बन सकती ।
अपने ही हाथों अपनी ममता का,
मैं खून नहीं कर सकती ।
जिसे भ्रूण हत्या का दोष लगे ।
ऐसी ना कोई कोख पले ।
-लक्ष्मी सिंह
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