ये कैसी देश की झाँकी है
ये कैसी देश की झाँकी है,
बदलाव अभी भी बाँकी है ।
कुछ करके दिखलानी है,
सम्पूर्ण आजादी लानी है ।
पथभ्रष्ट हो गए हैं नेता,
जो देश को लूट के है खाता ।
जो खुद दंगा फैलाता है,
और बाद में मलहम लगता है ।
ये कैसी गंदी राजनीति है,
जो देश का खून पीती है ।
ये कैसी देश की झाँकी है,
बदलाव अभी भी बाँकी है ।
कुछ करके दिखलानी है,
सम्पूर्ण आजादी लानी है ।
बिन माँ का बच्चा रोता है,
माता - पिता बस बोझा है ।
औरत की अस्मत बिकती है,
जहाँ इन्सान की कीमत सस्ती है ।
रिश्ता पैसों से बनती है ।
ये कैसी देश की झाँकी है,
बदलाव अभी भी बाँकी है ।
कुछ करके दिखलानी है,
सम्पूर्ण आजादी लानी है ।
गंगा मैली रोती है,
हवा बहुत प्रदुषित है ।
फैली हुई महामारी है,
भ्रष्टाचार और लाचारी है ।
नारी की इज्जत लुटती है,
प्रकृति फूट के रोती है ।
ये कैसी देश की झाँकी है,
बदलाव अभी भी बाँकी है ।
कुछ करके दिखलानी है,
सम्पूर्ण आजादी लानी है ।
निर्दोष सूली पर चढता है,
अपराधी निर्भय हो धूमता है ।
कोट - कचहरी लम्बी चक्की है,
कानून के आँख पर पट्टी है ।
न्याय जल्दी नहीं मिलती है,
ये कैसी संविधान की नीति है।
ये कैसी देश की झाँकी है,
बदलाव अभी भी बाँकी है ।
कुछ करके दिखलानी है,
सम्पूर्ण आजादी लानी है ।
माना चाँद पर पहुँच चुकी है बेटी,
फिर भी क्यों गर्भ में है मरती?
दहेज की भट्ठी में जलती,
भेद-भाव का दंश सहती।
जिस देश में नारी पूजी जाती है,
वहाँ नारी की क्यों ऐसी स्थिति है ।
ये कैसी देश की झाँकी है,
बदलाव अभी भी बाँकी है ।
कुछ करके दिखलानी है,
सम्पूर्ण आजादी लानी है ।
क्या इसी दिन के लिए,
फाँसी पर चढ़े स्वतंत्रता सेनानी ।
आजादी के खातिर,
कितनों ने दे दी अपनी कुर्बानी?
क्या ऐसी ही भारत का सपना,
देखे थे नेहरू और गाँधी जी ।
एक बार तो सोचो देशवासी,
होगी तुम्हें ग्लानी....... ।
ये कैसी देश की झाँकी है,
बदलाव अभी भी बाँकी है ।
कुछ करके दिखलानी है,
सम्पूर्ण आजादी लानी है ।
—लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली
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