चलो कुछ बात करते हैं
चलो कुछ बात करते हैं
कुछ तुम अपनी कहो,
कुछ हम सुनाते हैं।
यूँ खामोश बैठने से
अच्छा है कि —
कुछ गुनगुनाते हैं।
कहते हैं कि -
खामोशी बोलती है।
पर ये
इन्सानों को तोड़ती है।
चलो
इन खामोशी को
तोड़ कर मुस्कुराते हैं।
कुछ अपनी सुनाओ
कुछ हम सुनाते हैं।
जिन्दगी की
कुछ खुशियाँ
कुछ परेशानियाँ
बाँट लेते हैं।
चलो दोस्ती की
चटाई पर
गपशप लड़ाते हैं।
बचपन की क्या
जीवन के हर क्षण
को सुनाते हैं।
चलो कुछ बात करते हैं।
बीते दिनों की यादो को
फिर से दुहराते हैं।
कुछ तुम अपनी कहो
कुछ हम सुनाते हैं।
चलो दोस्ती की
चटाई पर
गपशप लड़ाते हैं।
-लक्ष्मी सिंह



-नई दिल्ली 💓
😊

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