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Showing posts from March, 2018
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🌹 🌹 🌹 🌹 कभी घिरते बादल और स्त्री को पढ़ा है।   दोनों का चरित्र एक सा ही गढ़ा है।   वे नारी सन्दर्भों की रागात्मकता है।   नारी जीवन की जीवंतता है,सार्थकता है।   वे नारी शोषण की मूर्तिरूपा है।   जाने किस आशा की दृढ़ता है।   नारी की अथक श्रमशीलता है।   नारी के आत्मोत्सर्ग व प्रतिबद्धता है।   दोनों में ही एक सी संघर्षशीलता है।   एक सा अभिशप्त जीवन की दास्तां है।   कभी उमड़ते घुमड़ते बादल को देखा है।   नारी के समग्र दृष्टिकोण को दर्शाता है।   --------------------- सब कुछ पाकर जीवन में कभी खुशी ना पाया।   अपने अश्रु धारा से सदा शीतल जल बरसाया।   बिना शिकायत बिना सहारे चलता जाता तन्हा।   अस्तित्व नहीं है कोई अपना बनता कभी बिगड़ता।   बिना थके चलते जाना है अपना ना कोई ठिकाना।   दूसरों के लिए जीना मरना है दोनों की एक सी दास्तां।   🌹 🌹 sp 🌹 🌹 -लक्ष्मी सिंह   💓 😃
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🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 अन्तर्मन की वेदना,  उभर कंठ में आय।  अधरों को छूते हुए,  मुख से निकले हाय।।  🌹 🌹 🌹 🌹 —लक्ष्मी सिंह  💓
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🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 बेटियाँ जब भी अपने मायका आती है।   लेने नहीं बहुत कुछ देने ही आती है।   दुआओं का अमृत कलश वो साथ लाती है,   बेटियाँ बोलो कब खाली हाथ आती है।   बेटियाँ जिस दहलीज पर कदम रखती वहाँ,   उसके कदमों के नीचे लक्ष्मी आती है।   भाई और भतीजे की नजरें उतार कर,   उनकी सभी बलैया ले लेने आती है।   बेटियाँ शुभकामनाएँ, शुभ आशीषों की,   सुखद सुमधुर स्नेहिल वृष्टि करने आती है।   धुंधलाते यादों के सभी अवशेषों को,   मन की हर कोने में सहेजने आती है।   अपने दिल की गहराईयों से जुड़ा हुआ,   अपनी जड़ों को फिर से सींचने आती है।   अपने सारे तनाव व दुख दर्दों से दूर,   सुकून के कुछ पल वहाँ बिताने आती है।   माँ के हाथों से बनी हुई कुछ खाते ही,   बेटी की आँखें बरबस भर ही आती है।   जाते-जाते अपना सब वही छोड़ जाती,   बेटियाँ मैके कुछ लेने नहीं आती है।   🌹 🌹 sp 🌹 🌹 —लक्ष्मी सिंह   💓 ☺
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🌹 🌹 🌹 🌹 && 🌹 🌹 🌹 तुम्हारी हर अदा से मोहब्बत होती है।   इक तेरे रूठ जाने से मुसीबत होती है।   डाल ली आदत गमों में मुस्कुराने की,   जिन्दा आदमी की ही तो आदत होती है।   सीख लिया हमने तुम बिन जीने का सलीका,   वरना मरे की तो सिर्फ इबादत होती है।   कब तलक छुपाऊँ मैं अपने दिल की हर बात,   उसकी हर अदा में एक नजाकत होती है।   बेजुबाॅ जानवर भी हक अदा कर देते हैं,   इन्सान में ही क्यों नहीं शराफत होती है।   🌹 s 🌹 p 🌹 —लक्ष्मी सिंह   💓 ☺