संदेश
संदेश
सखी रे आयो ना कोई संदेश
पिया मेरे जाय बसे हैं विदेश।
लिख-लिख पाती रोज पठाऊँ,
दिन-भर उनको फोन लगाऊँ।
घर-बाहर कहीं चैन ना पाऊँ,
ओ रे सखी उन्हें कैसे बताऊँ।
कैसे भेजूँ उन्हें मैं कोई संदेश
पिया.....
सूनी सेज काँटे सम लागे,
बैरन रतिया मुझको चिढ़ाये।
बाहों के झूले तेरी याद आये,
रोम-रोम मेरा बड़ा अकुलाये।
मृत तन सांसे रह गई शेष
पिया....
निंदिया ना आये,आये न चैना,
जाग बितऊँ मैं सारी-सारी रैना।
रिमझिम नीर बहाये मोरे नैना ,
पिया समझे ना विरह की बैना।
लट उलझे मेरे बिखरे हैं केश
पिया.........
चमक के बिजुरी मुझको डराये,
काली-काली बदरा शोर मचाये।
बरखा की ये बूंदें अगन लगाये,
मुझ विरहन को बड़ा तड़पाये।
मन में दुख दर्द से भरे हैं द्वेष
पिया...........
कौन सौतन संग नैन लड़ाये,
हमरी सुध तनिक नहीं आये।
सब परदेशी घर लौट के आये,
हम बैठे रह गये आस लगाये।
क्या मन में लगा है कोई ठेस
पिया........
रैन बिताये गिन गिन के तारे,
तुम जीते हम लाख बार हारे।
अब तो आजा प्रियतम् प्यारे,
हम जिन्दा है सिर्फ़ तेरे सहारे।
अब तो आ जाओ अपने देश
पिया......
सखी रे आयो ना कोई संदेश,
पिया मेरे जाय बसे हैं विदेश।
—लक्ष्मी सिंह
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