बुढ़ापे का प्यार

🌹🌹🌹🌹
कौन कहता है कि
   बुढ़ापा में प्यार नहीं होता है ।
सच तो ये है कि
   किसी को ऐतबार नहीं होता है।

बुढ़ापे का प्यार
     बड़ा ही खतरनाक होता है।
जवानी में तो सिर्फ
         नाहक बदनाम होता है।

ज्यों-ज्यों उम्र बढती है
      प्यार तो परवान चढ़ता है।
आँखों में लाखों सपनें
       दिल में अरमान जगता है।

एक-दूसरे की चिंता में
        सदा ही मन बेचैन रहता है।
एक-दूसरे को देखे बिना
      कहाँ दिल को चैन मिलता है।

पूर्णमासी के चाँद से भी सुन्दर
     एक-दूसरे का चेहरा लगता है।
दन्तहीन होठों पर मुस्कान का
      जब एक फूल सा उभरता है।

शक्तिहीन तन, पैरों में न दम,
         छड़ी का सहारा होता है।
फिर भी एक गिर जाये तो,
दूसरा काँपते हाथों से थाम लेता है।

दिखे ना आँख से,सुने ना कान से
 परेशानियों का चाहे गुबार होता है।
फिर भी सब भूलकर
   रमता जोगी प्यार का गाना गाता है।

कोई समझे ना समझे
    इन लोगों की तकलीफे परेशानियाँ।
पर ये लोग एक-दूसरे की
  दिल की मजबूरी बखूबी समझता है।

जिन्दगी के हर तजुर्बे को
        एक-दूसरे को दिल से सुनाता है।
जवानी में जो गलती की थी
        उसे अब ही तो सुधार करता है।

बुढ़ापे जितना प्यार
               जवानी में कहाँ होता है।
सच पूछो बुढ़ापे में
           जीवन नादान सा होता है।

जवानी तो अल्हड़ है
          बुढ़ापा बड़ा ही शांत होता है।
तजुर्बे के दम पर
      एक दूजे का चेहरा भांप लेता है।
🌹🌹🌹🌹 —लक्ष्मी सिंह💓☺

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