आतंकवाद


आतंकवाद



आतंकवाद सभ्य समाज और मानवता के लिए कलंक,
सम्पूर्ण मानव जाति के लिए बहुत बड़ा खतरा है आतंक।

गोलियों, बंदूकों, बारूदों से नित सजती है यहाँ बाजार,
विश्व भर में चल रहा लाशों व खूनी मौत का ये कारोबार।

डराते हैं ये एक हिंसात्मक कुकृत्य खौफनाक तरीके से।
हर रोज कितने निर्दोष मर रहे हैं इनके विकृत सोच से।

आतंकवाद का कोई भी ईमान और धर्म नहीं होता है,
इस दुष्ट दुराचारी के आँखों में तनिक शर्म नहीं होता है।

आतंकवाद के पास नहीं कोई नियम ना ही कोई कानून।
करे घिनौना कुकृत्य सदा माथे पर चढ़ा एक खूनी जुनून।

आतंकवाद है चलता फिरता जीवधारी एक मानव रोबोट,
दूर बैठा चला रहा एक आका जिसके हाथ में इसके रिमोट।

ये आतंकी ज्यादातर निहत्थे मासूमों पर करते हैं  हमला,
आतंकवाद के नित घिनौने कुकृत्य से पूरा विश्व है दहला।

सम्पूर्ण विश्व में तीव्र गति से फैलता जा रहा है ये जहर।
बिगड़ रहे हालात बढ़ रहा है नित आतंकवाद का कहर।

आतंकवाद के जलती आग में आज पूरा विश्व जल रहा है,
पाकिस्तान की गोद में खतरनाक आतंकवादी पल रहा है।

नित आतंकवाद का ये झंडा पूरे विश्व में हो रहा है बुलंद,
ऐसे नोच कर खा रहा मासूम लोगों को जैसे हो मूल-कंद।

लेना होगा संकल्प इस आतंकवाद के समूल विनाश का।
गाँधी वादी क्रांति से जलाये हर तरफ एक दीप आशा का।
                   —लक्ष्मी सिंह
                   
                

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