घूँघट के पार


घूँघट

🌹🌹🌹🌹
नारी के हाथ सृष्टि की पतवार,
बहुत कुछ है नारी घूँघट के पार।

घर-आँगन रौशन करती सूरज दमदार,
स्नेह, ममता, त्याग, शक्ति रूप सकार ।
नारी दुर्गा, काली लक्ष्मी का अवतार,
नर से प्रबल सदा प्रेरणा का आधार।
बहुत कुछ है नारी घूँघट के पार..... ।

ओढी शिक्षा का घूँघट आधुनिक विचार,
घर-बाहर सम्हालती ये दोधारी तलवार।
तोड़ दी सारी गुलामी की चार दीवार,
गूँज रही है चाँद पर आजादी की झंकार।
बहुत कुछ है नारी घूँघट के पार...... ।

सेना बन नित करती दुश्मन पर वार,
देश के रक्षा के लिए सदा खड़ी तैयार।
फूल सी कोमल यदि बन जाती अंगार,
दुष्ट दनवो का क्षण में कर देती संहार।
बहुत कुछ है नारी घूँघट के पार....... ।

सजग,सचेत,सबल,शालीनता का व्यवहार,
नहीं भूलती अपनी धर्म, मर्यादा, संस्कार।
कर दे मात नियति को भी बनी ऐसी औजार,
हर क्षेत्र में कर रही नारी ईश्वरीय चमत्कार।
बहुत कुछ है नारी घूँघट के पार............।

नारी के हाथ सृष्टि की पतवार,
बहुत कुछ है नारी सृष्टि के पार।
🌹🌹🌹🌹—लक्ष्मी सिंह 💓☺

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