भजन
हे माई इतना हम जानते कि
शिव शंकर मुझे ठगेगे तो,
हो जाता मैं श्री राम गुलाम।
हे माई.....
बीस भुजा,दस शीश चढ़ाये,
आक, धतुरा और भाँग।
संगम से गंगा जल भर चढ़ाये,
करते रहे पूजा सुबह - शाम।
हे माई....
भाई विभीषण कुछ नहीं किये,
जपते रहें सदा हरि के नाम।
राम चरण धर शीश झुकाये,
पा गये अचल निज धाम।
हे माई.....
एक लाख पुत्र,सवा लाख नाती,
स्वर्ण निर्मित लंका का धाम।
एक भी अगर, छोड़ते रघुवर,
तभी तो रहता रावण का नाम।
हे माई...
सारा जीवन, कठिन तप करके ,
लेते रहें सदा शिव जी के नाम।
अन्त काल जब प्राण छूटा तब,
मुख से निकला जय श्री राम।
हे माई......
—लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली
# साहित्य_सागर
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