भँवरा
🌹🌹भँवरा🌹🌹
(1)
गुन-गुन करता आया भँवरा।
फूल-फूल पे मँडराया भँवरा।
बाग-बाग में घूम-घूम कर,
प्रीत का गीत सुनाया भँवरा।
(2)
बंद फूलों को खिलाया भँवरा।
पुष्प - पराग बिखराया भँवरा।
ये निर्मोही, बड़ा रस का लोभी,
छेड़ दिल का दर्द बढ़ाया भँवरा।
(3)
(1)
गुन-गुन करता आया भँवरा।
फूल-फूल पे मँडराया भँवरा।
बाग-बाग में घूम-घूम कर,
प्रीत का गीत सुनाया भँवरा।
(2)
बंद फूलों को खिलाया भँवरा।
पुष्प - पराग बिखराया भँवरा।
ये निर्मोही, बड़ा रस का लोभी,
छेड़ दिल का दर्द बढ़ाया भँवरा।
(3)
कहीं दूर देश से आया भँवरा।
द्वार पे अलख जगाया भँवरा।
मन का उजाला,तन का काला,
क्या रूप अनोखा पाया भँवरा।
(4)
हर फूलों को लुभाया भँवरा।
फिर बाँहों में लिपटाया भँवरा।
बंद फूलों की पंखुड़ियों में,
सारी रतिया बिताया भँवरा।
🌹🌹🌹—लक्ष्मी सिंह 💓☺
Comments
Post a Comment