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Showing posts from July, 2017

भोला भंडारी

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विधा-शंख 🌹🌹🌹🌹 वो भोला पी हाला मतवाला डमरू वाला हृदय विशाला जग का रखवाला पहने सर्प का माला तन बाधम्बर छाला पीये भंग का प्याला गल मुण्ड माला दीन दयाला तीखाभाला निराला देवों में 🌹🌹🌹🌹 वो भोला भंडारी जटाधारी प्रलयंकारी नीलकंठधारी बूढ़ा बैल सवारी शिव मुनि मनहारी शशिधर सुखकारी जनकल्याणकारी शंभू त्रिपुरारी त्रिमूर्तिधारी अविकारी महिमा न्यारी है 🌹🌹🌹🌹 हे शिव शंकर गंगाधर करूणाकर प्रेम सुधाकर महाकाल ओंकार मृत्युंजय अविकार सुखराशि, सुखसार निराकार सकार परम उदार करूणाकर करतार दातार तार दो 🌹🌹🌹🌹—लक्ष्मी सिंह 💓☺

राख

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विधा - दोहा  🌹🌹🌹🌹🌹🌹 राख तन पे लगाय के, बसहा बैल सवार। शिव के दम पे है खड़ा, ये पूरा संसार।। 1 दुर्बल नारी जान के, मत करना अपमान। चिंगारी है राख में, क्षण में लेगी जान।। 2 रिश्तों में विश्वास है, कभी न हो कमजोर। आज राख जल हो रही , रिश्तों की हर डोर।। 3 अहंकार जो भी किया, मिटा हो गया खाक। रूई लिपटी आग ज्यों, जलकर होती राख।। 4 नारी के उत्थान की, जोर शोर से बात। फिर क्यों नारीआज भी, जलकर होती राख।। 5 देखो फाँसी चढ़ रहा, अपना आज किसान। खेत जल राख हो गया, टूटा हर अरमान।। 6 बेटी से बनकर बहू ,रही निभाती धर्म। राख  जला कर के किया, आयी तनिक न शर्म।। 7 ईर्ष्या जैसी आग को, मन में कभी न राख। जलभुन कर जीवन सदा, इसमें होता राख।। 8 मानव हठ स्वभाव तो ,चिता संग ही जाय। रस्सी जलकर राख हो, ऐठन कभी न जाय।। 9 चिंता चिता समान है, तन मन करती राख। एक बार जलते चिता, चिंता में दिन रात। 10 छैल छबेली मोहिनी, हँस हँस मारे आँख। देख पड़ोसी जल मरा,बिन माचिस के राख।। 11 मानव तन नश्वर सदा, मत करना अभिमान। शेष बचेगी राख ही, तन जलते श्मशान।। 12  🌹🌹🌹🌹 –लक्ष्म...

बंद तालों में

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विधा —शंख 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹  है लगा तालों में जंग अभी तराशना  है  मृत से रिश्ते को  प्रेम  व विश्वास  से सहेज   कर   रखना इन्सानियत  के  पौधे तभी रिश्तों के बीच खत्म होगी दूरी फूट जायेगी फिर नयी कोपलें नन्ही सी 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹  तू कभी ना छोड़ उम्मीद को हृदय   द्वार खोल कर देखो बंद ताले तोड़ दो परंपरा की बेड़ियाँ मन में दबी इच्छा को थोड़ी सी उड़ान दो उठो अब जागो नई जिंदगी नयी आशा बंद है तालों में 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 है फूटा अंकुर उम्मीद का बंद तालों में जीवन अास का मन के विश्वास का नयी सुबह के साथ नयी रोशनी के साथ नयी उर्जा के साथ हृदय के द्वार तोड़ के ताले पुष्प खिला नन्हा-सा पौधे में 🌹🌹🌹🌹🌹🌹—लक्ष्मी सिंह 💓☺

बजरंगबाला

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हाइकु 🌹🌹🌹🌹 हे प्रतिपाला गले बैजन्ती माला, बड़ा निराला दीनदयाला माँ अंजनी के लाला है रखवाला पर्वत वाला लाल लंगोटी वाला है मतवाला विपदा टाल कष्ट मिटाने वाला  है देने वाला हे घोटेवाला हे बजरंगबाला मैं फेरूँ माला —लक्ष्मी सिंह 💓☺

बुढ़ापे का प्यार

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🌹🌹🌹🌹 कौन कहता है कि    बुढ़ापा में प्यार नहीं होता है । सच तो ये है कि    किसी को ऐतबार नहीं होता है। बुढ़ापे का प्यार      बड़ा ही खतरनाक होता है। जवानी में तो सिर्फ          नाहक बदनाम होता है। ज्यों-ज्यों उम्र बढती है       प्यार तो परवान चढ़ता है। आँखों में लाखों सपनें        दिल में अरमान जगता है। एक-दूसरे की चिंता में         सदा ही मन बेचैन रहता है। एक-दूसरे को देखे बिना       कहाँ दिल को चैन मिलता है। पूर्णमासी के चाँद से भी सुन्दर      एक-दूसरे का चेहरा लगता है। दन्तहीन होठों पर मुस्कान का       जब एक फूल सा उभरता है। शक्तिहीन तन, पैरों में न दम,          छड़ी का सहारा होता है। फिर भी एक गिर जाये तो, दूसरा काँपते हाथों से थाम लेता है। दिखे ना आँख से,सुने ना कान से  परेशानियों का चाहे गुबार होता है। फिर भी सब भूलकर    रमता जोगी प्यार का गाना ...

हर हर महादेव

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🌹🌹🌹🌹 सब देवों के देव, सारे जग में स्वमेव , उमापति महादेव, हर हर महादेव। शिव ही कर्ता हैं, शिव ही भर्ता हैं, शिव ही धर्ता संहार करें। हर हर महादेव... शिव ही ब्रह्मा हैं, शिव ही विष्णु हैं, शिव ही महेश्वर त्रिमूर्ति रहें। हर हर महादेव... शिव ही रक्षक हैं, शिव ही भक्षक हैं, शिव ही सदा प्रेरक रहें। हर हर महादेव... शिव आदि अंत हैं, शिव ही अनंत है, शिव सदा दिगंत रहे। हर हर महादेव.... सत्य ही शिव है, शिव ही सुंदर है, सुन्दरता चहुँ ओर भरे। हर हर महादेव... शिव को राम प्रिय, राम को शिव प्रिय, हरि सेवा के लिए शिव हनुमान बने। हर हर महादेव... बायें अंग गौरा बिराजे, गोद में गणपति प्यारे, मस्तक चंद्र बिराज रहे। हर हर महादेव... तन बाघम्बर,चिताभस्म रमे, त्रिनयन, नीलकंठ भुजंग गले विकट रूप विकराल बड़े। हर हर महादेव.... भूत-प्रेत, पिशाच सखे, सदा श्मशान विहार करे, गरल गल मुणडमाल धरे। हर हर महादेव.... अर्ध नंग,जटा गंग बहे, डमरूधर बैल सवार रहे, शुभ्र सौम्य त्रिशूल धरे। हर हर महादेव...... सत्य,सनातन, सुन्दर शिवे, अन्तर्यामी स्वामी सबके, प्रेम सुधा बरसात क...

अहंकार

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अहंकार तो होता है केवल एक विचार, इसमें रहता ही नहीं कभी कोई भी सार। अहंकार है मानव में सकारात्मक अभाव , नकारात्मकता भर देता है इसका लगाव। अहंकार हर लेता है बुद्धि, विद्या और ज्ञान, अहंकार में जो भी पड़े नित-नित घटता मान। अहंकार वो बीज है जिससे पनपता विकार, मन से बाहर फेंक दो फिरआने ना दो द्वार । ईर्ष्या, दोष, क्रोध तो अहंकार में है भरमार, दूसरों की बुराई करें खुद को देखे ना एक बार। अहंकार को त्याग दो ऐ समझदार इन्सान, नहीं तो लुटिया डूबो देगा देख तेरा भगवान। मिट्टी का तन है बना क्यों करता तू अहंकार, एक दिन तो जाना ही पड़ेगा छोड़ तुझे संसार। `मैं ही सब करता हूँ '  यही तो है अहंकार, 'मैं' का 'मैं' से हटाकर करो सबका सत्कार। पापी मूढ़ कंस को था खुद पर बड़ा अहंकार, अपने सगे बहन बहनोई को बंद किया कारागार। जब भी पृथ्वी पर अहंकार बढ़ा प्रभु लिए अवतार, चुन-चुन हर अहंकारी,पापी का किया तब संहार। अहंकार वश दुर्योधन,शकुनि चलता रहा चाल, अपने ही हाथों से खुद बुलवाया था अपना काल। रामायण का रावण था बड़ा ही ज्ञानी प्रतापी, अहंकार के वशीभूत होकर...

मैं और मेरी परछाई

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🌹🌹🌹🌹 मैं कमरे में बैठी कर रही थी अकेलेपन से लड़ाई। सोच रही थी क्या यही है इस जीवन की सच्चाई। सब छोड़ जाते हैं सिर्फ़ साथ रह जाती है तन्हाई। झूठी दूनिया, झूठे रिश्ते-नाते  सब करते बेवफाई। आज साथ सिर्फ अकेलापन, मैं और मेरी तन्हाई। तभी कानों में मेरी एक हल्की - सी आवाज आई। मुझे कैसे भूल गई तू,मैं तेरा मन तेरी ही हूँ परछाई। मैं तेरे जिस्म में,तेरे वजूद में सदा ही रही हूँ समाई। तू मन की बात कहे ना कहे मुझे सब देती है सुनाई। चेहरे की हँसी, दर्द व दुख सब देता है मुझे दिखाई। तेरे संग-संग चलूँ तेरे रंग में ही रंगूँ मैं हूँ तेरी परछाई। देख धुधला-सा एक साया मैं डरी थोड़ी-सी घबराई। तभी हाथ पकड़ वो मुझे थोड़ी रोशनी के करीब लाई। मुझ से निकलकर साफ सामने खड़ी थी मेरी परछाई। जाने क्यों मैं फिर कुछ हल्की -सी मन्द-मन्द मुस्कुराई। मेरे अन्दर ना जाने कितने ही शरारती हरकतें समाई। मैं दोनों हाथों को उठा उँगलियों को हवा में हिलाई। मेरे साथ-साथ मेरी नकल कर रही थी मेरी परछाई। कभी आँचल, कभी जुल्फें, कभी हाथों को लहराई। कभी दायाँ कभी बायाँ मैंने दोनों पैरों को थिरकाई। मेर...

तेरी मेरी यारी

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🌹🌹🌹🌹 कागज है गौर वर्ण जैसे राधारानी। स्याहीयुक्त कलम जैसे कृष्णमुरारी। नवरस रूपी नवरंग की निष्पाती, बरसाना गाँव जैसा तेरी मेरी यारी। ऐ कलम, दवात और स्याही, रहे जीवन भर तेरी मेरी यारी। खुशियाँ हो या गम हो हमारी, तुझ से ही करूँ मैं साझेदारी। तू आशीर्वाद माँ सरस्वती की। आदत हो गई मुझे लिखने की। तू ही है इश्क, इबादत, ताकत, तू जुनून, तू खुदा मेरे मन की। तू ही मेरी सच्ची सखी सहेली। जानती मेरे मन की हर पहेली। तू ही शब्दों में सामर्थ्य भरती, जज्बातों को कागज पे उढेली। जीवन में आशा को जगाती। मेरे जख्मों पे मलहम लगाती। मेरे अहसास को लब्ज देती, मेरी हर दुख दर्द को भगाती। ख्वाबों के बादल पे उड़नेवाली। मन के टूटे तार को जोड़नेवाली। परत-दर-परत को हटाती यह, दिल में छुपे राज को जाननेवाली। अकेलेपन में सदा साथ निभायी। हर सुख-दुख में तू रिश्ता निभायी। कभी करती मुझसे हँसी मस्खरी, यारी की सार्थकता बखूबी निभायी। तेरे जैसा कोई दोस्त नहीं है प्यारी। तुझ सा नहीं किसी की भागीदारी। बिना किसी लाग लपेट के सदा, ये काव्य सरिता बहती रहे हमारी।  🌹🌹🌹🌹—लक्ष्मी सिंह ...

भजन

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🌹🌹🌹🌹🌹🌹 हे माई इतना हम जानते कि शिव शंकर मुझे ठगेगे तो, हो जाता मैं श्री राम  गुलाम। हे माई..... बीस भुजा,दस शीश चढ़ाये, आक, धतुरा और भाँग। संगम से गंगा जल भर चढ़ाये, करते रहे पूजा सुबह - शाम। हे माई.... भाई विभीषण कुछ नहीं किये, जपते रहें सदा हरि के नाम। राम चरण धर शीश झुकाये, पा गये अचल निज धाम। हे माई..... एक लाख पुत्र,सवा लाख नाती, स्वर्ण निर्मित लंका का धाम। एक भी अगर, छोड़ते रघुवर, तभी तो रहता रावण का नाम। हे माई... सारा जीवन, कठिन तप करके , लेते रहें सदा शिव जी के नाम। अन्त काल जब प्राण छूटा तब, मुख से निकला जय श्री राम। हे माई......                 —लक्ष्मी सिंह                 नई दिल्ली               # साहित्य_सागर

भक्ति रस

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भक्ति रस से भरे हृदय में सदा ईश्वर रहें समाई। है कल्याण उसी का जिसने ये ज्योति जलाई। भक्ति रस से निकले वाणी कर्णप्रिय सुखदाई। भक्ति रस का प्याला पीकर भाग्य उदय हो जाई। भक्ति रस से ही जीवन में सुमधुर रस है समाई। भक्ति रस के बिना जीवन निरस बड़ा कष्टदाई। कामी,क्रोधी,लोभी कभी भी भक्ति रस ना पाई। भक्ति रस स्वच्छ व निर्मल हृदय में सदा समाई। प्रेम बिना भक्ति नहीं,भक्ति रस में प्रेम समाई। अहंकार का त्याग करें,वो भक्ति रस में नहाई। भक्ति रस में डूब के मीरा जोगन रूप बनाई। भक्ति रस से पुकारी द्रोपदी दौड़ पड़े कन्हाई। भक्ति रस अनमोल सीढ़ी, जो चढ़े वो मुक्ति पाई ।  धन्य है वो भक्त जिसने भक्ति रस की दौलत पाई। 🌹🌹🌹—लक्ष्मी सिंह 💓☺

यात्रा संस्मरण

                यात्रा  संस्मरण पिछले साल मैं वैष्णव देवी गई थी। माँ के दर्शन के बाद दिल्ली वापस आ रही थी। ट्रेन शाम की थी। वैष्णव देवी की चढाई के बाद मैं काफी थक गई थी। इसलिए ट्रेन पर चढते ही लेट गई।हमारे सामने की सीट खाली पड़ी थी। अगले स्टेशन में एक परिवार चढ़े। खाली सीट उनलोगों की थी। उनके साथ एक छोटी सी बहुत ही प्यारी सी बच्ची थी। उस मासूम सी बच्ची ने मुझे देखा और हँस दी मैं भी जबाब में मुस्कुरा दी।वो लगभग तीन-चार साल की होगी। वो बच्ची काफी देर खेलती रही और रह रह कर मेरे पास आ जाती। कभी कुछ कभी कुछ पूछती, मैं उस के हर सवाल का जवाब मुस्कराहट के साथ दे रही थी। सोने का समय हो रहा था। उसकी माँ बार बार उसे सोने कह रही थी पर वो बच्ची। अभी नहीं कह कर जाने से मना कर देती। और मुझ से चिपक जाती। मैंने भी कहा देखो गुड़िया अब सो जाओ अच्छे बच्चे मम्मी पापा का कहना मानते हैं।काफी जद्दोजहद के बाद बड़ी मुश्किल से माँ के पास गई। पर पल भर में बोल पड़ी। नहीं मुझे आॅटी के पास सोना है, मैं देख रही थी पर चुप थी। माँ उसे समझा रही थी, उसके पापा भी पर वह मानने ...

नजर

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🌹🌹🌹 नजर की नजर से बचना, नहीं तो नजर लग जायेगी। 🌹🌹🌹—लक्ष्मी सिंह💓☺

हाइकु - गुरू पूर्णिमा

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🌹🌹🌹 हाइकु 🌹🌹🌹 (1) गुरु पूर्णिमा गुरू ही है पूर्ण माँ पूर्ण आसमाँ (2) प्रथम गुरु प्रथम पाठशाला माँ है शिवाला (3) प्रथम प्यार प्रथम आलिंगन माँ है जीवन (4) माँ चरणों में प्रथम नमन है माँ ही गुरू है (5) पहले माँ का फिर गुरु चरण का ध्यान करूँ 🌹🌹🌹—लक्ष्मी सिंह💓☺

हाइकु —गुरु महान

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🌹🌹🌹 हाइकु गुरू महान 🌹🌹🌹 (1) गुरू महान देते हमको ज्ञान विद्या का दान। (2) हैं भगवान गुरू गुणों के खान सर्वोच्च स्थान (3) प्रथम गुरु होती हमारी माता जीवन दाता (4)द्वितीय गुरु कहलाते हैं पिता देते सुरक्षा (5) तृतीय गुरु शिक्षक कहलाते जो शिक्षा देते (6) बड़ा चतुर यह है कारीगर ज्ञान सागर (7) गुरू आकाश बच्चों का ये विश्वास ज्ञान प्रकाश (8) गुरू वही जो हीरे सी तराश दे राह दिखा दे (9) अगर कोई ईश्वर के बाद है तो वो गुरू है (10) गुरू सहारा सदा राह दिखाता किया किनारा (11) सच्चा गहना गुरू जी का कहना सदा मानना (12) गुरू राष्ट्र का करे नव निर्माण सर्व कल्याण (13)सर्व गुरू को चरण कमल में मेरा नमन 🌹🌹🌹—लक्ष्मी सिंह 💓☺

लुटेरा

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चोर और डाकू तो सिर्फ धन लूटते हैं। उससे बड़े अपराधी धन, तन लूटते हैं। पर श्रद्धा के लुटेरे सबसे बड़ा लुटेरा, ये तन,  मन, धन, के साथ जीवन लूटते हैं।                 - लक्ष्मी सिंह                               

बेटी की पुकार

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🌹🌹🌹🌹 बेटा बेटी एक समान बता क्यूँ नहीं देते? जमाने के आँखों से ये पर्दा हटा क्यूँ नहीं देते? बेटों से कभी कम नहीं है बेटियाँ, इसे भी बराबरी का दर्जा क्यूँ नहीं देते? दो दिलों व घरों को जोड़ती है बेटियाँ, एक बार उसका हक दिला क्यूँ नहीं देते? लुटा रहे हो प्यार दिन-रात बेटों पर कुछ बेटियों पर भी प्यार लुटा क्यूँ नहीं देते? सारी पाबंदियां सिर्फ़ बेटियों पर क्यों, बेटों को भी हद में रहना सिखा क्यूँ नहीं देते? सिसक रही है असहाय कोने में बेटियाँ, जख्मी जिगर को फूल बना क्यूँ नहीं देते? दहेज के जल्लाद जला रहे  हैं  बेटियाँ, ऐसी प्रथा को जड़ से मिटा क्यूँ नहीं देते? दिन दहाड़े लुट रही है सड़कों पर बेटियाँ कोई कड़ा कानून बना क्यूँ नहीं देते? जो बेटियों पर हाथ उठाये मेरे भगवन, ऐसे हर एक हैवान को सजा क्यूँ नहीं देते? जो देखता है गंदी बूरी नियत से बेटियाँ, ऐसे हर आँखों को अंधा बना क्यूँ नहीं देते? 🌹🌹🌹🌹 —लक्ष्मी सिंह 💓☺

संदेश

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         संदेश सखी रे आयो ना कोई संदेश पिया मेरे जाय बसे हैं विदेश। लिख-लिख पाती रोज पठाऊँ, दिन-भर उनको फोन लगाऊँ। घर-बाहर कहीं चैन ना पाऊँ, ओ रे सखी उन्हें कैसे बताऊँ। कैसे भेजूँ उन्हें मैं कोई संदेश पिया..... सूनी सेज काँटे सम लागे, बैरन रतिया मुझको चिढ़ाये। बाहों के झूले तेरी याद आये, रोम-रोम मेरा बड़ा अकुलाये। मृत तन सांसे रह गई शेष पिया.... निंदिया ना आये,आये न चैना, जाग बितऊँ मैं सारी-सारी रैना। रिमझिम नीर बहाये मोरे नैना , पिया समझे ना विरह की बैना। लट उलझे मेरे बिखरे हैं केश पिया......... चमक के बिजुरी मुझको डराये, काली-काली बदरा शोर मचाये। बरखा की ये बूंदें अगन लगाये, मुझ विरहन को बड़ा तड़पाये। मन में दुख दर्द से भरे हैं द्वेष पिया........... कौन सौतन संग नैन लड़ाये, हमरी सुध तनिक नहीं आये। सब परदेशी घर लौट के आये, हम बैठे रह गये आस लगाये। क्या मन में लगा है कोई ठेस पिया........ रैन बिताये गिन गिन के तारे, तुम जीते हम लाख बार हारे। अब तो आजा प्रियतम् प्यारे, हम जिन्दा है सिर्फ़ तेरे सहारे। अब तो आ जाओ अपने...

हाइकु रिश्ते और रास्ते

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हाइकु                     एक सिक्के के ये रिस्ते और रास्ते दो पहलू हैं। (1) कभी रास्ते में रिश्ते बन जाते हैं कभी टूटते। (3) रिश्ते निभाते कभी रास्ते खो जाते तो कभी रिश्ते (4) ये लम्बे रास्ते दूरियाँ बढ़ाती हैं रिश्ते तोड़ती। (5) दूरियाँ हो तो केवल रास्ते में हो दिलों में न हो। (6) दिल थके तो रिश्ते व रास्ते दोनों  खत्म हो जाते      लक्ष्मी सिंह 

रोटी कपड़ा और मकान

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रोटी, कपड़ा और मकान आम आदमी के तीन अरमान मिले रोटी, कपड़ा और मकान। जग में तीनों चीजें बड़ी महान, जिनकी उंगली पर नाचे इन्सान। भूख गरीबी से होकर परेशान, देखो फाँसी पर चढ़ा किसान। माँ की अस्मत बिकी दुकान, खोया भाई-भाई की पहचान। भूख ने तोड़ा कठोर पाशान, बंजर में भी डाल देती जान। कुछ कर्मयोगी, श्रमिक इन्सान, इनके दुख से सब है अनजान। लोगों ने खोया धर्म - ईमान, चाहत बढ़ी बन गया बेईमान। हाथों से रोटी छिन लेते हैवान, सब सह जाते खामोश जुबान। इनका हक छिन भरते गोदान, और खुद बन बैठे हैं धनवान। नेता माँगते वोट बघारते शान, दूँगा रोटी, कपड़ा और मकान। कुर्सी पाते घूमते खुद वायुयान, जनता पर तनिक ना देते ध्यान। सब को मिले खुशियाँ समान, करो इस समस्या का समाधान।           –लक्ष्मी सिंह                     

हाइकु —मन

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(1) मैं रंग भरे जिन्दगी के तराने गुनगुनाऊँ (2) पंख ख्वाबों के गगन में फैलाये मैं उड़ जाऊँ (3) फूलों के संग इन्द्रधनुषी रंग में रंग जाऊँ  (4) सागर संग लहरों में तरंग यूँ बलखाऊँ (5) नई उमंग नई सुरसंगम प्रेम से गाऊँ (6) हवा के संग मदमस्त सुगंध मैं बन जाऊँ —लक्ष्मी सिंह 

दूरियाँ

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समाज और परिवार में घट रही नजदीकियां, टूट रही है भरोसा व विश्वास की हर कड़ियाँ। रिश्तों में तनाव, मतभेद ला देती  है  दूरियां, विश्वास और भरोसे पर चलती है ये दुनिया। रिश्तों में हो अगर प्यार और विश्वास की कमी, काँटें बनकर चुभती हर एक शक व गलतफहमी। रिश्तों में ताजगी बनाये रखने का तरीका, भरपूर समय देना कीमती  तोहफे से  ज्यादा। संवादहीनता रिश्तों को करती  खोखला, समझ, सहानुभूति ना हो तो बढता फासला। जरूरत से ज्यादा ना करें एक-दूसरे से अपेक्षा, हर रिश्तों का सम्मान करे दिल में रखना हमेशा। मन की यादों में हर रिश्तों को सजाये रखना। भावना के अन्तरमन में दूरियां ना आने देना। रिश्ता जिन्दगी का एक सबसे अच्छा तोहफा, तोड़े नहीं रिश्तों को सहेजे सदा करें भरोसा। नाजुक रिश्तों की डोर कभी नहीं उलझाना, प्यार और मिठास से समय रहते ही सुलझाना।                      —लक्ष्मी सिंह                                   ...

बचपन और बारिश

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🌹🌹🌹🌹🌹 आज सुबह से ही मौसम बड़ा है अच्छा, ढ़ूढ़े मेरा मन बावरा वो छोटा-सा बच्चा। वहीं सुहाने दिन, वो बचपन, वो बारिश, जवाँ हो रही थी हर तमन्ना हर ख्वाहिश। जब माँ समझाती दे छोटा-सा एक छाता, दिल भींगना चाहता बात तनिक न भाता। ये बड़े-बड़े रेनकोट, ये प्लास्टिक के बूट, उतार कर छुप भागते थे बोल कर झूठ। किसी बहाने से बारिश में गीला हो जाना, `इसने भींगा दिया`एक मासूम-सा बहाना। गीली-मिट्टी से कपड़े व चेहरे का मेकअप, बार्षा के पानी,कीचड़ में खेलते थे छपाछप। कानों में बूंदों की बजती थी जब सरगम, खिला चेहरा खुशी से भींगे,नाचे छम-छम। मौजमस्ती की होड़ में पुरानी रंजिश भूलना, वो बादल-बिजली से डरकर शोर मचाना। ना जाने कहाँ खो गया बचपन का खजाना, याद आता है मुझको वो गुजरा हुआ जमाना।  🌹🌹🌹🌹–लक्ष्मी सिंह💓☺

तेरे आने से

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तेरे आने से आज एक खता हो गयी । मैं शबभर जलती एक समा हो गयी। रात भर बरसता रहा बादल लगातार, मेरे दर्द-ए-दिल की दवा हो गयी । दिल की उलझने बढ़ती ही गयी, मेरे इश्क की आज इंतहा हो गयी । सारे ख्वाब टूटते ही रहें दिल में, जमाने के गमों की मैं राबता हो गयी। मेरी खुद्दारी कदम - कदम पर टूटी, जिन्दगी मेरी जैसे सजा हो गयी। मेरी हस्ती मुझ में ही ना बाकी रही , मैं टूटे सितारों का एक आसमां हो गयी।           –लक्ष्मी सिंह                          

कसूर

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 कसूर बेटी किस कसूर, किस अपराध की सजा पाती है। कभी गर्भ, कभी दहेज के नाम मारी जाती है। घर-बाहर कहीं भी सुरक्षित नहीं है बेटियाँ, दुष्ट-दरिंदों-गिद्ध की निगाहें यहां रुलाती है।                  —लक्ष्मी सिंह                                

सुन मन मेरे

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�सुन मन मेरे � सुन मन मेरे चल आज कुछ करें मन की मन में न रहे चल कुछ करे सुन्दर प्रकृति बड़े कितने रंग बिखेरे पड़े चल खुद में रंग भरे निखर-सँवर उठे सुन मन मेरे...... दीप आशा की जले मन में रोशनी भरें अँधेरे से फिर लड़े हिम्मत से चल आगे बढ़े सुन मन मेरे..... कुछ हलचल करें मौन-शांत क्यों खड़े कुछ उथल-पुथल करें मन में उमंगें भरे सुन मन मेरे......... सुन मन मेरे चल आज कुछ करें मन की मन में न रहे चल कुछ करें                     —लक्ष्मी सिंह                                              

भँवरा

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🌹🌹भँवरा🌹🌹          (1) गुन-गुन करता आया भँवरा। फूल-फूल पे मँडराया भँवरा। बाग-बाग में घूम-घूम कर, प्रीत का गीत सुनाया भँवरा।          (2) बंद फूलों को खिलाया भँवरा। पुष्प - पराग बिखराया भँवरा। ये निर्मोही, बड़ा रस का लोभी, छेड़ दिल का दर्द बढ़ाया भँवरा।           (3) कहीं दूर देश से आया भँवरा।  द्वार पे अलख जगाया भँवरा।  मन का उजाला,तन का काला,  क्या रूप अनोखा पाया भँवरा।            (4) हर फूलों को लुभाया भँवरा।  फिर बाँहों में लिपटाया भँवरा।  बंद फूलों की पंखुड़ियों में,  सारी रतिया बिताया भँवरा। 🌹🌹🌹—लक्ष्मी सिंह 💓☺

घूँघट के पार

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घूँघट 🌹🌹🌹🌹 नारी के हाथ सृष्टि की पतवार, बहुत कुछ है नारी घूँघट के पार। घर-आँगन रौशन करती सूरज दमदार, स्नेह, ममता, त्याग, शक्ति रूप सकार । नारी दुर्गा, काली लक्ष्मी का अवतार, नर से प्रबल सदा प्रेरणा का आधार। बहुत कुछ है नारी घूँघट के पार..... । ओढी शिक्षा का घूँघट आधुनिक विचार, घर-बाहर सम्हालती ये दोधारी तलवार। तोड़ दी सारी गुलामी की चार दीवार, गूँज रही है चाँद पर आजादी की झंकार। बहुत कुछ है नारी घूँघट के पार...... । सेना बन नित करती दुश्मन पर वार, देश के रक्षा के लिए सदा खड़ी तैयार। फूल सी कोमल यदि बन जाती अंगार, दुष्ट दनवो का क्षण में कर देती संहार। बहुत कुछ है नारी घूँघट के पार....... । सजग,सचेत,सबल,शालीनता का व्यवहार, नहीं भूलती अपनी धर्म, मर्यादा, संस्कार। कर दे मात नियति को भी बनी ऐसी औजार, हर क्षेत्र में कर रही नारी ईश्वरीय चमत्कार। बहुत कुछ है नारी घूँघट के पार............। नारी के हाथ सृष्टि की पतवार, बहुत कुछ है नारी सृष्टि के पार। 🌹🌹🌹🌹—लक्ष्मी सिंह 💓☺

आतंकवाद

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आतंकवाद आतंकवाद सभ्य समाज और मानवता के लिए कलंक, सम्पूर्ण मानव जाति के लिए बहुत बड़ा खतरा है आतंक। गोलियों, बंदूकों, बारूदों से नित सजती है यहाँ बाजार, विश्व भर में चल रहा लाशों व खूनी मौत का ये कारोबार। डराते हैं ये एक हिंसात्मक कुकृत्य खौफनाक तरीके से। हर रोज कितने निर्दोष मर रहे हैं इनके विकृत सोच से। आतंकवाद का कोई भी ईमान और धर्म नहीं होता है, इस दुष्ट दुराचारी के आँखों में तनिक शर्म नहीं होता है। आतंकवाद के पास नहीं कोई नियम ना ही कोई कानून। करे घिनौना कुकृत्य सदा माथे पर चढ़ा एक खूनी जुनून। आतंकवाद है चलता फिरता जीवधारी एक मानव रोबोट, दूर बैठा चला रहा एक आका जिसके हाथ में इसके रिमोट। ये आतंकी ज्यादातर निहत्थे मासूमों पर करते हैं  हमला, आतंकवाद के नित घिनौने कुकृत्य से पूरा विश्व है दहला। सम्पूर्ण विश्व में तीव्र गति से फैलता जा रहा है ये जहर। बिगड़ रहे हालात बढ़ रहा है नित आतंकवाद का कहर। आतंकवाद के जलती आग में आज पूरा विश्व जल रहा है, पाकिस्तान की गोद में खतरनाक आतंकवादी पल रहा है। नित आतंकवाद का ये झंडा पूरे विश्व में हो रहा है बुलंद, ऐस...