मैं लिखना चाहति हुँ।।
मैं लिखना चाहती हूँ ।
पर मैं क्या लिखूँ ?
शब्द और छंदों को
जोड़ना मुझे आता नहीं
शब्दों की तुकबंदी भी
बना पाती नहीं
पर मैं लिखना चाहती हूँ ,
मैं क्या लिखूँ ?
मैं क्या लिखूँ ?
बचपन लिखुँ या जावानी लिखूँ ।,
या नानी की कहानी लिखूँ ,
या अपनी जुबानी लिखूँ ?
मैं लिखना चाहती हूँ ,
पर मैं लिखना चाहती हूँ?
मीत लिखूं या प्रीत लिखूँ ,
हार लिखूं या जीत लिखूँ ,
या कोई संगीत लिखूं ?
मैं लिखना चाहती हूँ ,
पर मैं क्या लिखूँ ?
दर्द मैं डूबी जख्म लिखूँ,
या खुशियाँ भरा नज्म लिखूँ ,
तू ही बता ऐ जिंदगी,
मैं क्या लिखूँ ?
शब्द उलझे से है ,
जज्बात कुछ बिखरे से हैं ,
समेटना आता नहीं।
मैं लिखना चाहती हूँ ,
पर मैं क्या लिखूँ ?
-लक्ष्मी सिंह
-नई दिल्ली
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