ऐ जिन्दगी!
पूरी जिन्दगी एक किताब है।
जिसका कुछ पन्ना पढ़ लिया,
कुछ पढ़ना अभी बांकी है।
जिन्दगी के पगडंडी पर
अभी दो-चार कदम ही रखे हैं।
तय करने को जिन्दगी का
अभी लम्बा सफर बांकी है।
कभी खुशी तो
कभी गम है जिन्दगी।
ना जाने देने को
कितने इम्तिहान अभी बांकी है।
कुछ ख्वाब हैं अधुरे से,
कुछ ख्वाब है पूरे से,
ना जाने कितने ही
अरमान अभी बांकी हैं।
कदम-कदम पर
एक सबक है जिन्दगी।
कुछ नया तजुर्बा ,
नई उम्मीद अभी बांकी है।
-लक्ष्मी सिंह
-लक्ष्मी सिंह
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