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Showing posts from October, 2016

कृष्ण

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🌹 🌹 🌹 🌹 यूँ ना रूठो मुझ से मेरी प्रीत है सिर्फ तुझ से...... यकीन नहीं तो पुछ लो तुम अपने ही दिल से... यूँ ना छुड़ाओ  हाथ तुम मेरे हाथों से.... तेरे बिना हो जाऐगें हम आधे-अधुरे से..... जीवन की  ये डोरी बँधी तुम से.... प्यार हुआ तेरी निर्मल मन से....... 🌹 🌹 🌹 🌹 -लक्ष्मी सिंह नई दिल्ली 

यूँ ना रूठो मुझ से…

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🌹 🌹 🌹 🌹 कैसा है ये कृष्ण की माया हर गोपी संग कृष्ण की छाया राधा - कृष्णा, कृष्णा - राधा जोड़ी युगल बांधे प्रीत की धागा मुग्ध मगन बासुरी की धुन पर झूम रहा पूरा वृन्दावन राधा नाचे,कृष्णा नाचे नाच रहे है पूरा गोपी जन नाचे मोर ,पपीहा नाचे  नाच रहें है पूरा उपवन छम-छम नाच रहे हैं गैया नाच रहे हैं ग्वाल ग्वलन पनघट तट झूमे कदंब नाच रहे हैं यमुना की तरंग कितना रमणीय कृष्ण की माया हर गोपी संग कृष्ण की छाया राधा - कृष्णा , कृष्णा - राधा 🌹 🌹 🌹 🌹 -लक्ष्मी सिंह -नई दिल्ली 

मेहदीं

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🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 हमने हथेली पर लगाई है पिया तेरे नाम की मेहदीं। तुम्हारे प्यार की मेहदीं। तुम्हारे इकरार की मेहदीं। मेहदीं लगे हथेली को देख मन में अंदर ही अंदर एक शोख अंगराई लेती है। जितना ही होता है इसका रंग गहरा उतनी ही हया की लाली मेरे चेहरे पर इतराती है। पिया हमारा तुम्हारा प्रेम मेहदीं के रंग से भी गहरा है। जिसका रंग जन्मो-जन्मान्तर तक ना उतरेगा। तभी तो मेहदीं हमने   तेरे प्यार के रंग से घोला है। जो मेरी तन -मन मेरी आत्मा तक रंगा है। ये रंग उतरे ना कभी इसकी महक से महके जीवन मेरी। तमन्ना है कि   सदा सुहागन ही दम निकले मेरी। खाली हाथ ना विदा करना पिया लगा देना मेहदीं हथेली पे मेरी। 🌹 🌹 🌹 🌹 -लक्ष्मी सिंह  - नई दिल्ली 

दीपावली

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🌹 🌹 🌹 🌹 इस बार की दिवीली कुछ ऐसे मना लेना। प्रेम की बाहें खोल कर बुजुर्गों को गले लगा लेना। घायल नम आँखों में एक आशा का दीप जला देना। इस बार की दिवाली कुछ ऐसे मना लेना। जिनकी देख नहीं पाती आँखे कुछ पैसे उनको दे आना। जिनसे दुनिया वो देख सके एक ऐसी दीप जला देना। इस बार की दिवाली कुछ ऐसे मना लेना। खील - खिलौने, खांड - बतासे मिठाई-कपड़े, फुलझरी-पटाखे। अनाथों को भी दे आना मन ही मन घुटते,तरसतेआँखों में खुशियों का दीप जला देना। इस बार की दिवाली कुछ ऐसे मना लेना। जिस घर में अंधेरा छाया हो उस घर में उजाला कर देना। झोपड़ी में ज्योति जीवन का नन्हा सा प्रकाश फैला देना। भूखे गरीब के आँगन में एक स्नेह का दीप जला देना। इस बार की दिवाली कुछ ऐसे मना लेना। अमीरी-गरीबी का फर्क मिटा जाति - पाती का धर्म हटा हर दिल को गले लगा लेना। रोते-बिलखते हर चेहरे को एक बार खुशी से हँसा देना। इस बार की दिवाली कुछ ऐसे मना लेना। 🌹 🌹 🌹 🌹 —लक्ष्मी सिंह -नई दिल्ली 

दीपावली

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मेरा एक दीप शहीदों के नाम। राष्ट्र की अखण्डता, एकत्व का प्रतिमान। देकर लहु अपना रखा तिरंगे की शान। मेरा एक दीप शहीदों के नाम। भारत माँ की रक्षा के हित प्राण गवाते धन्य वे बलिदान। मरते दम तक रखा है जो भारत माँ की मान। मेरा एक दीप शहीदों के नाम। भारत माँ की कर्ज चुकाने हो जाते हँसकर कुर्बान। चल दिया माँ के खातिर लुटा कर अपनी जान। मेरा एक दीप शहीदों के नाम। 🌹 🌹 🌹 🌹 —लक्ष्मी सिंह -नई दिल्ली  🌹 जय हिंद 🌹   💐 🎉  दिपावली की 🎉 🌹 जय जवान 🌹   🌋 🎉 🌋 🌋  शुभ कामनाएँ 🌋 🌹 जय किसान 🌹   🎉 🌋