भारतीय किसान




छू कर माटी सोना कर दे एक ऐसा इन्सान।
भारत माँ की प्यारी संतान भारतीय किसान।।

देश का पोषक, अन्नदाता तनधारी भगवान ।
त्याग - तपस्या का दूसरा नाम है— किसान।।

गांव की संस्कृति और सभ्यता की पहचान।
इनके खून पसीने से लहलहाता खेत-खलिहान ।।

कम पढ़े-लिखे खेती के बारीकियों का ज्ञान।
मौसम के बदलते मिजाज की है उन्हें पहचान।।

आजीवन दुखी,अभावग्रस्त, कर्ज से परेशान।
फटेहाल, भूखा, जीवित नरकंकाल के समान।।

तेज धूप, कड़ाके की ठंड, बर्षा, आँधी-तुफान ।
हर विषमताओं से जूझने की शक्ति विद्धमान।।

अर्थव्यवस्था का आधार रीढ़ की हड्डी समान।
उनकी कठिन जीवन को सारा देश करता नमन।।

यदि चाहते हो देश की उन्नति, सबल राष्ट्र महान।
तो करो शिक्षित, समृद्ध व आत्मनिर्भर किसान।।

सुनो देशवासियों –
किसान की बेहतरी में दो अपना योगदान।
करो किसान की हर समस्याओं का समाधान।।






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