पापा की बिटिया



🌹🌹🌹🌹




गर्मी की छुट्टी
 ढेर सारी मस्ती। 
जिन्दगी फूलों सी
खिल खिला उठी। 
नये-नये करतब, 
नये-नये कलाकारी। 
कभी खूब शरारतें, 
कभी खातिरदारी। 
कभी कांधे पे चढ़ती, 
कभी पीठ की सवारी। 
कभी नाज नखरे, 
फरमाइशें ढ़ेर सारी। 
पापा के संग-संग, 
मस्त बिटिया प्यारी। 
कभी तंग करती, 
कभी रूठ जाती। 
मनाते ही बिटिया, 
क्षण में मान जाती। 
अपनी इसी अदा से, 
माँ-पापा को लुभाती। 
मेरा आँगन बना है, 
एक सुंदर फुलवारी। 
🌹🌹🌹🌹-लक्ष्मी सिंह 💓

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