मेहनतकश मजदूर (मजदूर दिवस पर)
जुझारू,मेहनतकश एक शक्ति क्रांतिकारी।
हर उद्योग में मजदूरों की अपरिहार्य भागीदारी।
मजदूरों पर देश की समस्त आर्थिक उन्नति टिकी।
मजदूर सभी प्रकार के क्रियाकलापों की है धूरी।
फौलादी है बाहें इनकी फौलादी हैं मुट्ठी।
नित नव निर्माण के खातिर जलते श्रम की भट्ठी।
सर्दी-गर्मी सहते ये हर मौसम की मार।
हिम्मत और हौसले को बनाकर अपना हथियार।
पग-पग कठिनाई और संघर्ष भरी जिंदगी।
अपने जज्बा दमखम से स्वीकारते हर चुनौती।
दैनिक मजदूरी के आधार पर जीवन यापन करता।
कठिन परिश्रम के बदले कम मजदूरी पाता।
खून, पसीने, मेहनत, इमानदारी की कमाई खाता।
मेहनत और मजदूरी से सदैव है इसका नाता।
जीविका उपार्जन हेतु छोड़ा अपना घर-परिवार।
दूर शहर में जाकर करता कुछ रोजगार।
कोई यहाँ पर बोझा ढोता कोई चलाता ठेला।
कमर तोड़कर मेहनत करता पाता नहीं एक ढेला।
नहर,तालाब,सड़क,पुल,गगनचुंबी महलों का निर्माण।
कृषि,उद्योग,व्यापार हर क्षेत्र में योगदान।
आज मशीनी युग में भी कम नहीं हुई इसकी महत्ता।
समस्त क्रिया कलापों में मजदूरों की महत्वपूर्ण भूमिका।
ये सृजनकर्ता देश की संपन्नता का प्रमुख आधार।
मजदूर के कांधे पर टिका देश का पूरा भार।
अपना जीवन देकर करता आया देश पर उपकार।
ये कर्मयोगी सदैव प्रशंसा के हकदार।
देश की तरक्की,प्रगति,राष्ट्र का निर्माणाधार।
देश के हित श्रम करनेववाले गवाकर अपना अधिकार।
श्रमजीवी मजदूर ही धर्म की रक्षा के प्रत्यक्ष सहायक।
ये कर्मयोगी, मेहनती देश का सच्चा नायक।
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