स्त्रित्व की रक्षा

💓कहते है की - पुत्र कुपुत्र हो सकता है , पर माता कुमाता नहीं होती। तो फिर वह स्त्री कौन है ? जो गर्भ में ही बेटी होने पर , उसे मार देती है। दुनियां में आने से पहले ही , उसका गला घोंट देती है। कहते हैं की माँ अपने बच्चों में फर्क नहीं करती। अपने सभी बच्चों को सामान भाव से प्यार करती है। तो फिर वह स्त्री कौन है ? जो अपने बेटों को देख - देख फूले नहीं समाती। बेटी से घर का सारा काम कराती है कहते है की - माँ बच्चों का हर दर्द बिन बोले ही समझती है, तो फिर वह स्त्री कौन है ? जिसे अपनी बेटी की चीख सुनाई नहीं देती। उसके चीख - चीख कर मना करने पर भी , जबरन ससुराल जाने पर मजबूर करती। भले ही वहाँ मर जाती है , दहेज की आग में जल जाती है। बस एक ही शिक्षा देती है। बेटी की डोली ससुराल जाती है और अर्थी में ही बाहर निकलती है। फर्क है आज भी समाज में फर्क है। स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है। ------------------------------------------- जिस दिन माँ 'माँ ’बन जाए। अपने किसी बच्चों में फर्क ...