एक माँ की विनती

दो सद बुद्धि
जो है विपरीत बुद्धि।
ज्ञान का प्रकाश तू भर दे।
मेरे लाल को कोई कष्ट न हो
माँ मुझको इतना तू वर दे।
फूल उसे माँ सारा देदे
कांटा मेरे हिस्से कर दे।
वर दे, माँ !बस इतना वर दे।
मेरे वंश का पथ उज्जवल कर दे।
-लक्ष्मी सिंह
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