मेरी नानी माँ

माँ तो प्यारी है मुझको 
पर माँ से प्यारी नानी माँ 
माँ ने मुझको जन्म दिया 
पर पाली - पोसी नानी माँ। 

भर कटोरी दूध पिलाती 
खाली तनिक नहीं वो लाती
जिस दिन थोड़ा खाली होता 
नखरा  मेरे सर पर होता  
हाथ मार मैं उसे भी गिराती 
डाँट डपट वो मुझे लगाती 
कान खिंचती आँख दिखाती 
पर फिर कटोरा भर लाती थी मेरी नानी माँ। 

माँ तो प्यारी है मुझको 
पर माँ से प्यारी नानी माँ 
माँ ने मुझको जन्म दिया 
पर पाली - पोसी नानी माँ। 

आँगन में वो खाट बिछाती 
अपने बगल में मुझे सुलाती 
राजा रानी के किस्से सुनाती 
परियों की वो देश घुमाती 
तारों  से वो बात कराती 
चन्दा मामा से मिलवाती   
हाथ से मेरा माथा सहलाती 
सुन्दर - सुन्दर  गीत सुनाती 
कभी कोहबर शादी - ब्याह की 
भजन कीर्तन कभी नचारी 
कितना मधुर गीत गाती थी मेरी नानी माँ। 

माँ तो प्यारी है मुझको पर 
माँ से प्यारी नानी माँ 
माँ ने मुझको जन्म दिया 
पर पाली पोसी नानी माँ। 

बाहर जब खेलकूद कर आती 
धूल से धूसित  हो जाती थी 
आँचल से वो झारा  करती 
कभी पुचकारती कभी दुलारती 
सबसे पहले यही पूछती 
भूख लगी होगी तुझको 
जा मामी से मांग ला रोटी 
चल कुछ खिला दूँ तुझको 
गाँव की औरतें जो भी 
बायना दे जाती थी 
लड्डू - मिठाई ,खाजा -मठरी 
छुपा -छुपा कर खिलाती थी मेरी नानी माँ। 

माँ तो प्यारी है मुझको 
पर माँ से प्यारी नानी माँ 
माँ ने मुझको जन्म दिया 
पर पाली - पोसी नानी माँ 

बिन बताये ही मेरे 
सारे राज पढ़ लेती थी 
मेरे हँसी में छुपी दर्द 
चेहरे पर पढ़ लेती थी 
चेहरे पढ़ने का शायद 
वो हुनर जानती थी 
अपनी ममता से मेरी 
दुःख दर्द हर लेती थी 
ऐसा लगता था की 
जैसे कोई जादू जानती थी 
मेरी मन की पीड़ा 
क्षण मैं दूर भगा देती थी मेरी नानी माँ 

माँ तो प्यारी है मुझको 
पर माँ से प्यारी नानी माँ
माँ ने मुझको जन्म दिया 
पर पाली - पोसी नानी माँ  

आपकी ममता का कर्ज चुकाना 
मुश्किल है मेरी नानी माँ 
माँ तो प्यारी है मुझको 
पर माँ से प्यारी नानी माँ 
                                 - लक्ष्मी सिंह 




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