जब बच्चे जवाब देते हैं

जब बच्चे जवाब देते हैं,
जीवन के हर तार टूटते हैं।
शब्दों के प्रहार से ,
तन पे कितने बाण चलते हैं।
घायल मन ,मन के अंदर में,
फिर अपनी ही गलती ढूंढते हैं।
चूक हुई कब , कैसे कहाँ पर,
खोट परवरिश में देखते हैं।
आज तक जिनके लिए जी रहे थे
आज भी उन पर मरते हैं।
पी कर अश्क का प्याला फिर
सब कुछ ईश्वर पर छोड़ते हैं .
खुश रखना मेरे लाल को ,
इतना दिल से दुआ करते हैं।
जख्म सहकर भी उफ़ नहीं करते हैं
आशिर्वाद भरा हाथ ,
हमेशा बच्चो के सिर पर रखते हैं।
- लक्ष्मी सिंह
Comments
Post a Comment