कमा कमा कर शिव किसको देते हो ,

कमा-कमा कर शिव किसको देते हो , घर में कुछ नहीं दिखता हैं। तीनों लोक के दाता हो शंकर , घर में कुछ नहीं लाते हो। घर में एक दाना नहीं दिखता , भांग धतूरा खुद खाते हो। जेवर गहना पास नहीं कुछ, सर्प से अंग सजाते हो। शमशान घाट का राख लेपकर , बाघ का छाल पहनते हो। तीनों लोक के दाता हो शंकर , घर में नहीं कुछ लाते हो। कमा-कमा कर शिव किसको देते हो , घर में कुछ नहीं दि खता है। तीनों लोक के दाता हो शंकर , घर में कुछ नहीं लाते हो। नित उठकर हम भांग पीसते हैं , आँचल पर ही सुखाते हैं। बांधा हुआ बसहा घास भी नहीं खाता , रस्सी पकर कर झुकाते हैं। आप तो ध्यान में मग्न हो शंकर, दूत भूत शोर मचाते हैं। जब से हम आपके घर आये हैं , सुख नहीं दुःख ही दुःख पाते हैं। तीनों लोक के दाता हो शिव, घर में कुछ नहीं लाते हो। कमा - कमा कर शिव किसको देते हो , घर में कुछ नहीं दि खता है।...