धीरे-धीरे धरती बन रहा है आग का गोला
धीरे-धीरे धरती बन रहा है आग का गोला।
ये विश्व समुदाय के लिए बड़ा गम्भीर मुद्दा।
वायुमंडल में बढ़ती कार्बनडाईआॅक्सािड की मात्रा।
तरह-तरह के बीमारियों से जनजीवन को खतरा।
दशकों से प्रभावित हो रही धरती की आबोहवा।
दिनोंदिन बिगड़ती स्थिति भयानक जानलेवा।
कुछ प्राकृतिक प्रक्रिया तो कुछ मानव जनित कारण।
दिन ब दिन ग्रीनहाउस गैस से ओजोन परत में क्षरण।
ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा कारण है प्रदूषण।
पेड़ों की नितकटाई,शहरीकरण,आधुनिकीकरण।
हर खाली जगह पर बन रहे बिल्डिंग कारखाना।
अपनी सुविधा के लिए नदियों की दिशा बदल देना।
वाहनों के उपयोग से नित अंधाधुंध गैसीय उत्सर्जन,
अत्याधिक बिगाड़ रहा धरती पर प्राकृतिक संतुलन।
मानव ने स्वार्थवश पेड़ों को काट डाला।
खुली ताजी हवा के लिए कोई स्त्रोत नहीं छोड़ा।
ग्लोबल वार्मिंग का जिम्मेदार खुद मनुष्य।
इसे माफ नहीं करेगा आने वाले भविष्य।
कितनी दुख भरी, कितनी शर्म की है ये बात।
धरती का गला घोट रहा खुद मानव अपने हाथ।
एक तरफ मानव ने सुख सुविधा का साधन जुटाया।
दूसरी ओर प्राकृतिक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया।
वो दिन दूर नहीं जब हो जाएगा पूरी धरती का विनाश।
खुद अपने हाथों मानव कर रहा अपना सत्यानाश।
धरती का सबसे अधिक बुद्धिमान प्राणी।
जानबूझकर कर रहा ये कैसी नादानी।
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