मैं बेटी हुँ




मैं बेटी हूँ.....
मैं गुड़िया मिट्टी की हूँ।
खामोश सदा मैं रहती हूँ।
मैं बेटी हूँ.....
मैं धरती माँ की बेटी हूँ।
निस्वास साँस मैं ढोती हूँ।
मैं बेटी हूँ.......
अपमान की घूँट मैं पीती हूँ।
थोड़ी प्यार-दुलार की भूखी हूँ।
मैं बेटी हूँ........
मै फूलों सी कोमल हूँ।
मैं ममता की मुरत हूँ।
मैं बेटी हूँ......
हँस-हँस के सब सहती हूँ।
हर पल काँटों पर लेटी हूँ।
मैं बेटी हूँ......
मैं हर लड़ाई जीत के आती हूँ।
फिर भी बोझ मैं मानी जाती हूँ।
मैं बेटी हूँ......
—लक्ष्मी सिंह
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