ठंढ आयी, सर्द हवा चली


🌹🌹🌹🌹

ठंढ आयी,सर्द हवा चली,

दिन छोटे हुए,रात बड़ी।
ठंढी तीखी हवा चली,
छूते तन पर सूई चूभी।
रखी रजाई बाहर निकली,
और गर्म लिबादें सभी।
घर-घर रूम हीटर जली,
गृहस्थों ने जलाई अंगीठी।
ठंढ़.........

शीत लहर की मार पड़ी,
ठिठूरे जीव-जन्तु सभी।
सर्दी कितनी है बेदर्दी,
निर्धन की हालत बिगड़ी।
पक्षी नीड़ों में जा बैठी,
गौएँ गौशालों में दुबकी।
ठंढ़........

कोहरों में कुछ दिखता नहीं,
देर से चलते वाहन सभी।
चाँद-सितारे नजर आते नहीं,
सूरज को भी ग्रहण लगी।
धरती धूध की चादर ओढ़ी,
पेड़-पौधे औस की बूदों से भरी।
ठंढ़........
🌹🌹🌹🌹—लक्ष्मी सिंह

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