छोड़ कर कंचन महल अटारी

💓💓💓💓

छोड़ के कंचन महल अटारी,
जोगन रूप मनाऊंगी......
वृन्दावन की कुन्ज गली में,
अपनी कुटी बनाऊंगी.....

लट चिपकाऊ,भस्म रमाऊंगी,
लोकलाज बिसराऊंगी......
मन में तेरी मोहनी सुरत,
ले करताल बजाऊंगी........

सास-ससुर की कही ना मानूं,
घुंघट मुख ना छिपाऊंगी......
लोग कहे मीरा भई बावरी,
लोक लाज बिसराऊंगी........
—लक्ष्मी सिंह💓


Comments

Popular posts from this blog

मैं एक बूढ़ा लाचार गरीब किसान

फूल पलाश के ले आना तुम।

भतीजे को जन्मदिन की बधाई