💓 💓 💓 💓 देहाती दुनिया में पुरातन, प्रभावशाली तकनीक है अलाव। जो गरीबों को कंपकपाती, ठंढ़ की मार से करती है बचाव। श्वेत चादर ओढ़े कोहरे के, डँसती शीतलहर का फैलाव। चिलचिली सर्द भरी धूँध, से भरे मौसम का ये बदलाव। ठंढ़ी-ठंढ़ी शीतकालिन, पछुआ सर्द हवाओं का बहाव। देह के अस्तित्व पर चुभती, सुई सी ठिठुरनों का दबाव। अग्नि के चारो तरफ बैठे, लोगों का संकुचित घेराव। उठती चिंगारियों की लपटों, लहलहाती आँच का गर्माव। धुआँ से आँखों में हो रहे, किरकिरी,आँसुओं का छलकाव। ठंढ़ से मरती जिंदगियों में, जोश भरती उष्णता का प्रभाव। आग में जला आलू,बैगन,टमाटर की चटनी,चोखा का स्वाद लाजबाव। गरम-गरम धी में डूबा,लिट्टी में सत्तु का भराव। प्रेम रसों का इसमें, थोड़ा-थोड़ा सा छिड़काव। इसके सामने फीका है, मुगलई बिरयानी और पुलाव। किस्से सुनाते बुढ़े-बुजुर्ग अपने जवानी की देकर मुछों पर ताव। ध्यान से सुनते सभी बड़े-बच्चे, ऐसे कि जाने कितना हो सुनने में चाव। कोई सुनाता,गीत,सोहर, तो कोई जोक, लतीफे बे...