मैं नारी, सर्वशक्तिशाली हूँ।




मैं नारी,
सर्वशक्तिशाली हूँ।
मैं आदिशक्ति,
सृष्टि को रचने वाली हूँ।
मैं वेद की ऋचाएँ,
गीता की अमृतवाणी हूँ।
मैं भागीरथी की गंगा,
शंकर की जटा में रहने वाली हूँ।
मैं मुरलिया,
कान्हा के अधरों से गानेवाली हूँ।
मैं शिव की शक्ति,
उनके अंग में समानेवाली हूँ।
मैं सत्यवती, सावित्री,
मौत को झुकानेवाली हूँ।
मैं पार्वती, दुर्गा, काली,
दुष्टों का संहार करनेवाली हूँ।
मैं तुलसी,
हर आंगन में पुजनेवाली हूँ।
मैं रामायण की सीता,
हर कष्ट को सहने वाली हूँ।
मैं लक्ष्मी, सरस्वती,
सबको धन, विद्या देनेवाली हूँ।
मैं, माँ, बहन, पुत्री,पत्नी,
अनेक रूप धरने वाली हूँ।
मैं जननी,
जीवन देने वाली हूँ।
मैं युगों-युगों से पूजित,
मुक्ति भी देने वाली हूँ।
मैं नारी,
सर्वशक्तिशाली हूँ।
-लक्ष्मी सिंह
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