नये साल आये, नये साल बीते।


💓💓💓💓

नये साल आये, 

नये साल बीते। 
ना जाने कितने 
ही फ्लाइओवर के नीचे, 
बिना कंबल, रजाई के, 
ठंड से ठिठुरते। 
पेट-पीठ एक
ना हो इसके, 
इसी जुगाड़ में 
समय बिताते। 
इनके लिये 
क्या नया साल?
क्या पुराना साल? 
क्या जश्न मनाना, 
क्या पर्व-त्योहार? 
ये हैं बेघर लाचार, 
क्यो नहीं इनपर
ध्यान देती सरकार? 
—लक्ष्मी सिंह 💓

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