लोहड़ी,






आज पर्व लोहड़ी,
कल मकरसंक्राति।
पौष माह की
रात आखिरी,
सूर्यास्त के बाद
माघ पहली।
उत्सव मनाने की
जोरदार तैयारी,
लोहडी पूजन की
ढेर सारी सामग्री।
सूखे उपले,
लकड़ियों की ढ़ेरी,
अग्नि में अर्पित
के लिए तिलचौली।
चावल मक्के की
लावा व मूँगफली,
गचक, गुड़,
तिल और रेवड़ी।
पौष-माघ की
कड़कड़ाती सर्दी,
जलते अलाव
अत्यंत सुखदायी।
इन अलाव में छिपी
जीवन की गर्मजोशी,
समय है कटाई की
पकी फसल रब्बी।
अग्निदेव को दी
जाती आहुति,
भंगड़ा, गिद्धा
नृत्य की प्रस्तुति।
नाचते चारों ओर नर नारी
बीच में जलती अग्नि,
बजते ढोल नगाड़ों की
सुन्दर मधुर ध्वनि।
मक्के की रोटी संग
सरसो का साग,
जीवन में भरते हैं
खुशियों का राग।
रंग बिरंगे कपड़े में
लोग लगते मनोहारी,
जोशीले व स्वभाविक
हँसमुख लोग पंजाबी।
—लक्ष्मी सिंह
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