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Showing posts from January, 2017

हे कृष्णा

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💓 💓 💓 💓 हे कृष्णा 🌹 🌹 🌹 हर लो 🌹 🌹 🌹 सारी तृष्णा  🌹 🌹 🌹 —लक्ष्मी सिंह  💓 ☺

बुढापा

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💓 💓 💓 💓   🌺 बुढापा  🌺 🌺 आया जीवन संध्या  कांटे भरी बगिया  फूल सभी मुरझाया 🌺 🌺 बुढापे की माया  कितना रोग लाया दर्द भरी काया  🌺 🌺 बड़ा कठिन घड़ी  कमर झूकी  हाथ में छड़ी  🌺 🌺 बुढापे का कहर  कमजोर नजर  दवा भी बेअसर  🌺 🌺 जब आता बुढापा  चेहरे पर गहरी छाया  माथे पर हिमाला  🌺 🌺 चेहरे पर झुर्रियां  अकेलेपन की दुनिया  कितनी मजबूरियां  🌺 –लक्ष्मी सिंह  💓

मेरी आँखें

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💓 💓 💓 💓 मेरी आँखें  थक चूकी है, तेरी राह  तकते - तकते।  एक बार तो  चले आ जालिम  मेरी मौत  आने से पहले।  —लक्ष्मी सिंह  💓

आँखें

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💓 💓 💓 💓 💓 आँखें शरीर का सुन्दर हिस्सा,  छुपा है इस में दिल का किस्सा। आँखें होती है मन का आयना, बयान करती हर एक फसाना। आँखों की अपनी एक बोली,  अपनी ही एक अलग है भाषा। आँखे जीवन का एक किताब,  कहेअनकहे सवालों का जवाब। आँखें चेहरे का अनुपम श्रृंगार,  रूप लावण्य का मोहक बाजार। आँखें अहसासों का समन्दर,  नफरत, चाहत इसके अन्दर। आँखें भोली-भाली कुछ कातिल,  घायल कितने आशिकों के दिल। आँखें चंचल जैसे हो झरना,  विरानों को भी सिखा दे सँवरना। आँखें ख्वाबों का सुन्दर संसार,  भुली बिसरी यादों का है दरबार। आँखें कह दे कल का इतिहास,  हर रिश्ते नाते से जुड़े अहसास। आँखें स्पष्ट प्रमाण स्वीकृति,  पढ़े कोई संवेदनशील व्यक्ति। आँखें होती आत्मा की परछाईं,  पढ़ने की हुनर सबको नहीं आती।  —लक्ष्मी सिंह  💓 ☺