मैं हूँ गुलाब।
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मैं हूँ एक फूल सुर्ख गुलाब। 
जिधर से भी मैं गुजरूँ, 
छोड़ जाऊँ खुश्बू बेहिसाब। 
मेरा जीवन काँटों की चुभन, 
चेहरा खिला मुस्कुराता गुलाब। 
मेरे अंग-अंग में सुन्दरता, 
तन में कोमलता नाजुक-सी गुलाब। 
मैं हूँ.... 
मेरी चेहरे की सादगी जैसे, 
सुबह की खिली ताजी सफेद गुलाब। 
ओस की बूंद से भींगे लब जैसे, 
हो दो पंखुड़ियाँ गुलाबी गुलाब। 
मैं हूँ...... 
मेरी बातें गुलाब की खुश्बू, 
गाल दहके सुर्ख लाल गुलाब। 
मेरे नीले नशीले दो नयन जैसे, 
हो दो नीला - नीला गुलाब। 
मैं हूँ...... 
मेरे काले से घने बाल जैसे, 
हो हरा-हरा और काला गुलाब। 
अपने दुश्मनों से भी मिलती हूँ, 
मैं हाथ में लेकर एक पीला गुलाब। 
मैं हूँ.....
मैं हूँ एक फूल सुर्ख गुलाब, 
जिधर से भी मैं गुजरूँ, 
छोड़ जाऊँ खुश्बू बेहिसाब। 
—लक्ष्मी सिंह  💓
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