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मैं एक बूढ़ा लाचार गरीब किसान
🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 मैं एक बूढ़ा लाचार गरीब किसान.... हाय ओ दाता कितनी विपदा कैसे करें निदान। घर में मुट्ठीभर दाना नहीं सूखा खेत-खलिहान।। कागज के पन्नों को रंगते, लिखते लोग मुझे महान, पर मेरी मजबूरी,लाचारी का नहीं किसी को भान। मैं एक बूढ़ा......... 🌹 लाखों लोगों का पोषक मैं अन्नदाता भगवान। पर खुद अपने घर में हूँ मैं दरिद्रता से परेशान।। फटे पैर,हाथों में छाले माथे पे चिंता का निशान। दिन-रात मेहनत करके भी गिरवी मेरा मकान। मैं एक बूढ़ा.............. 🌹 प्रकृति की कृपा रही तो खिला चेहरे पे मुस्कान। कोप हुई फसल नष्ट,कर्ज,दर्द,टूटा सब अरमान।। अपनी मेहनत से उगाता हूँ अनाज,गेहूं व धान। अपने हाथों कुछ नहीं,भरा साहूकार का गोदान। मैं एक बूढ़ा.............. 🌹 एक थी मेरी बेटी जिसका कर ना पाया कन्यादान। डोली उसकी अर्थी बन गई पहुंच गई श्मशान। एक बेटा फाँसी पे झूला,एक हुआ गोली का निशान। छिन लिया मेरे लाल को ...
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