प्रजापति ( कुम्हार )

💓 💓 💓 💓 हम जुड़े देश की माटी से वही पुराने संस्कार की घाटी से । मिट्टी के हम दीये बनाते, उसी से अपना घर चलाते। आदि यंत्र कला का प्रवर्तक, मिट्टी के बर्तन का अविष्कारक। वही पुराना गोल सा पहिया, जिसमें घूमती मेरी दुनिया। मैं लिखता माटी से कहानी, उसमे डालता मेहनत का पानी। नित करता हूँ मैं नव निर्माण, फिर भी गरीबी से हूँ परेशान। हमने मिट्टी का मुर्त रूप बनाया, ब्रह्म स्वरूप प्रजापति कहलाया। -लक्ष्मी सिंह 😊 💓