रात भर


🌹🌹🌹🌹

रात भर चाँदनी रोती रही,

धरती पर आँसू की चादर बिछी।
दर्द इसका हाय कोई ना जान सका,
जो भी देखे ये कहे मोती की लड़ी।
🌹🌹🌹🌹—लक्ष्मी सिंह


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