बचपन
चलो फिर से,
उन लम्हों को चुनते हैं।
जब हम छोटे-छोटे बच्चे थे।
साथ लड़ते झगड़ते थे।
साथ हँसते खेलते थे।।
इन छोटे-छोटे आँखों में,
मासुम से सपने पलते थे।
चलो.................।
मम्मी की प्यार,
पापा का डाँट,
साथ-साथ में पाते थें।
जब एक दूजे की गलती को,
चुपचाप छुपाया करते थे।
चलो................।
कभी नराजगी तो,
कभी एक दूजे पर
प्यार लुटाया करते थें।
जब एक ही थाली में,
मिलजुलकर खाया करते थें।
चलो..............।
हम बड़े हो गये,
क्यों एक दूजे से जुदा हो गये।
जिन्दगी की परेशानियों में,
बचपन ना जाने कहाँ खो गये।
बचपन की सारी बातें,
बस यादों में ही पलते हैं।
चलो फिर से,
उन लम्हों को चुनते हैं।
जब हम छोटे-छोटे बच्चे थे।
🌹🌹—लक्ष्मी सिंह
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