परिवार


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प्रथम इकाई रूप में, उदय हुआ परिवार। 
एक अच्छे समाज के, है निर्माणाधार। 


एक अभिन्न अंग है, जीवन का परिवार। 
प्रेम - स्नेह से सींच कर, स्वर्ग बने घर-द्वार। 

तिनका तिनका जोड़कर, बनता है आवास। 
एक सम भाव हो जहाँ, सुख-शांति का निवास। 

तिनका-तिनका टूट कर, बिखर रहा परिवार। 
मानव हृदय घुल रहा, यहाँ कैसा विकार 
🌹🌹🌹🌹🌹—लक्ष्मी सिंह 💓



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