जुगाड़
सुबह से ही दीप्ति रोये जा रही हैं उसे स्कूल से प्रोजेक्ट बनाने दिया गया है पर माँ इन रोज-रोज के प्रोजेक्ट से परेशान जब से पति दुनिया छोड़कर गये हैं इन दो बच्चों के खाना और कपड़े का जुगाड़ कर पाना ही मुश्किल है। लोगों के घरो में सफाई का काम करके ही घर का गुजारा चलता है। दोनों बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिला तो करा दिया। किसी तरह से काॅपी किताब का भी इंतजाम कर दी पर स्कूल के रोज रोज के प्रोजेक्ट के लिए पैसे कहाँ से लाती।अतः पैसे देने से मना कर दी, पर दीप्ति कहाँ मानने वाली, उसे चाहिए तो बस चाहिए। उसका भाई उसे चुप करा रहा है। पर दीप्ति चूप ही नहीं हो रही हैं जिद्द पर अड़ी है। दीपक बोला चुप हो जा मैं कुछ इन्तजाम करता हूँ। तभी उसका ध्यान घर के सामने कूड़े के ढेर में गया। वह उस ढेर से कुछ ढूंढने लगा। उसमें से कुछ खाली माचिस की डिब्बे, कुछ कपड़े के कतरन, टूटे प्लेट, ग्लास, बटन, सीडी आदि इकट्ठा करने लगा। दीप्ति बोली भैया यह क्या कर रहे हों। भला कूड़े से क्या बना सकते हैं। वह बोला बस देखती जा। देखते ही देखते दीपक ने उन सभी समानों से एक बड़ा सा गुड़िया बना डाला जिसने हाथों में एक तितली पकड़ रखी थी। अगले दिन, वह वो प्रोजेक्ट स्कूल में ले गई। वहां सभी बच्चों का प्रोजेक्ट आर्टिफिशल समानों से बना हुआ था। उसे अपना प्रोजेक्ट कूड़े से बना देख शर्म आने लगी। आर्ट के पीरियड में सभी अपना प्रोजेक्ट सबमिट करने लगे। वह सहमी सी अपना प्रोजेक्ट देने गई। तभी सर उसके लिए ताली बजाने लगे। सर को देख सभी बच्चे भी ताली बजाने लगे। पूरी कक्षा ताली से गूँज ऊठी।सर ने कहा कि उसका प्रोजेक्ट सबसे खास और सबसे सुंदर है। आख़िरकार उसके भैया का जुगाड़ सफल हुआ।
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🌹 -लक्ष्मी सिंह
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