मेरा कान्हा

(1)



ललना निहारने मातु यशोदा,
अहो भाग्य मैंने पायो कान्हा।
देख-देख छबि मन नहीं भरता,
सबसे अनोखा है मेरा ललना।
(2)



लेती बलैया मुख कभी चुमे।
माँ की गोद में ललना झूले,
जब से गृह कान्हा जी आये,
मातु यशोदा खुशी से फूले।
(3)



नाच रहा है छोटा-सा कन्हैया।
संग- संग नाच रही है दुनिया।
देवी देवता सब पुष्प लुटाये,
ऋषि-मुनि मंगल गाये बधैया।
(4)



ठुमक चलत नंद लाल बाजत पैजनिया,
माथे शोभे मोर मुकुट हाथ में बांसुरिया।
हर्षित सब ग्वाल बाल बृज की गोपियां,
मात यशोदा अति आनंद पायो कन्हैया।



—लक्ष्मी सिंह 

ललना निहारने मातु यशोदा,
अहो भाग्य मैंने पायो कान्हा।
देख-देख छबि मन नहीं भरता,
सबसे अनोखा है मेरा ललना।
(2)
लेती बलैया मुख कभी चुमे।
माँ की गोद में ललना झूले,
जब से गृह कान्हा जी आये,
मातु यशोदा खुशी से फूले।
(3)
नाच रहा है छोटा-सा कन्हैया।
संग- संग नाच रही है दुनिया।
देवी देवता सब पुष्प लुटाये,
ऋषि-मुनि मंगल गाये बधैया।
(4)
ठुमक चलत नंद लाल बाजत पैजनिया,
माथे शोभे मोर मुकुट हाथ में बांसुरिया।
हर्षित सब ग्वाल बाल बृज की गोपियां,
मात यशोदा अति आनंद पायो कन्हैया।
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