साड़ी

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
पांच-छह मीटर का लम्बा वस्त्र है साड़ी,
जिसे दिल से पहनाती हर भारतीय नारी।

साड़ी तो एक भव्य परिधान है ऐसा,
जो किसी भी महिला पर बेहद फबता।

किसी को तो साड़ी पहननी नहीं आती,
कुछ को तो कई तरह से पहनना भाती।

सदियों से पारंपरिक पहनावे का हिस्सा,
हर कद काठी की नारी पर खूब जँचता।

हो पूजा-पाठ,तीज-त्योहार,शादी या रोका,
नहीं छोड़ती नारी साड़ी पहनने का मौका।

कांजीवरम,बनारसी,सूती,तसर,तांत,पटोला,
या शिफॉन की साड़ी में लगा हुआ हो गोटा।

रंग-बिरंगी,रेशमी,नर्म,मुलायम,मखमली,
इसे पहन सजती भारतीय दुल्हन नवेली।

साड़ी में ही होती हर लड़की का ब्याह,
ममता से भरे साड़ी के आंचल की छाँह।

साड़ी में लगती है सुंदर हर एक नारी,
शालीन,सौम्य,मनमोहक,और भी प्यारी।

खूबसूरत,आकर्षक,डिजाइनदार कपड़ा,
जिसमें खूब दमकता नारी का मुखड़ा।

नारी सौंदर्य में लगा देती है चार चांद,
चांद भी शर्मा जाते देख साड़ी में चांद।

साड़ी आध्यात्मिक व सात्विक परिधान,
संस्कार,मर्यादा और परंपरा की शान।

घूँघट के पल्लू में गजब ढाती मुस्कान,
भारतीय सभ्यता व संस्कृति की पहचान।
🌹🌹🌹🌹 —लक्ष्मी सिंह ☺💓


Comments

Popular posts from this blog

मैं एक बूढ़ा लाचार गरीब किसान

फूल पलाश के ले आना तुम।

भतीजे को जन्मदिन की बधाई