जुदाई

जुदाई, ये जुदाई सहना, मुश्किल है कन्हाई। तुझ से दूर-दूर यूँ रहना, दर्द भरी तन्हाई।। 1 नजरें जहाँ कहीं भी डालूं, तेरी ही छवि पाई। पलकें बंद करूँ या खोलूँ, झाँकी नयन समाई।। 2 पल-पल याद सताये तेरी, देख आँख भर आई। उस पर बारिश की ये बूँदें, प्रणय वेदना लाई।। 3 प्रेम का प्यासा विरह ज्वाला, तन-मन अगन लगाई। मन का पंछी हुआ बावरा, धीर कहीं ना पाई।। 4 सांझ बनी है सौतन बैरी, पपीहा हुक उठाई। राग-रागिनी मन बहकावे, विचलित मन अकुलाई।। 5 मन व्याकुल कुछ भी ना भाये, जान मेरी दुहाई। तुझे देखने को दिल तरसा, कैसे सहे जुदाई।। 6 —लक्ष्मी सिंह