मनमोहन मुरलीवाला
(1)
मोर मुकुट पीताम्बर गल बैजन्ती माला।
कानों में कुण्डल माथे पे तिलक विशाला।
हर पल सबकी जो रक्षा करता है,
चक्र सुदर्शन को धारण करने वाला।
(2)
मंद-मंद मुस्कान अधर लाल मतवाला।
श्याम वर्ण छवि अति सुन्दर गोपाला।
देख-देख नयन नहीं हटता उन से,
ऐसा मनमोहक रूप बड़ा ही निराला।
(3)
यसुमती का प्यारा नंन्द का लाला।
नटखट कृष्णा मनमोहन मुरलीवाला।
मटकी को फोरे है माखन चोर ये,
नित घर-घर में जाकर डाका डाला।
(4)
बृन्दावन में गाय को चराने वाला।
सदा संग में रहे मनसुख ग्वाला।
बृज के हर बाला हुई दिवानी,
सदा राधिका के रंग रंगने वाला।
(5)
यमुना के तट पर रास रचाने वाला।
हर गोपियन को नाच नचाने वाला।
ग्वाल बाल सब के सब झूम रहे हैं,
कैसा जादू डाला जादूगर जादू वाला।
(6)
इन्द्र का अभिमान को तोड़ने वाला।
गोवर्धन पर्वत उँगली पे उठाने वाला।
जहरीली यमुना में बहाने से कुद कर,
नथकर नाग कालिया पर नाचने वाला।
(7)
भक्त हृदय में प्रेम बढाने वाला।
अर्जुन का रथ को हाँकने वाला।
धर्म संकट में फँसने पर उसे,
गीता का उपदेश सुनाने वाला।
(8)
दुष्ट कंस पापी को मारने वाला।
गीध अजामिल को तारने वाला।
द्रोपदी की पुकार को सुनकर,
चीर बढ़ा कर लाज बचाने वाला।
(9)
मीरा का विष अमृत करने वाला।
गजराज के प्राण को बचाने वाला।
कृष्णा तो सच्चा प्रीतम है प्यारा,
सारी दुनिया का जो है रखवाला।
(10)
है घट-घट में वास करने वाला।
मन में प्रकाश को भरने वाला।
प्रभु अंतर्यामी, सबके हैं स्वामी
हैं दुखियों के कष्ट मिटाने वाला।
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